Easter Sunday 2019 Date: ईसाई धर्म से जुड़े लोग ईस्टर पर्व को बड़े धूम-धाम से मनाते हैं। इस साल 21 अप्रैल को ईस्टर मनाया जा रहा है। ईसाई धर्म के लोगों का ऐसा मानना है कि ईसा मसीह को क्रॉस पर लटकाने के बाद वह फिर से जीवित हो गए थे। इसी खुशी में वे लोग ईस्टर सेलिब्रेट करते हैं। साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि दोबारा जीवित होने के बाद ईसा मसीह अपने भक्तों के बीच लगभग 40 दिनों तक रहे थे। इस त्योहार को ईसाई धर्म के लोग क्रिसमस की तरह मनाते हैं।
गुड फ्राइडे के दिन लोग भगवान यीशु के मरने का शोक मनाते हैं तो वहीं ईस्टर के दिन उनके जीवित होने की खुशी मनाते हैं। ईस्टर के दिन ईसाई धर्म के लोग घरों और चर्च में मोमबत्ती जलाते हैं और भगवान के कुशल-मंगल रहने की दुआ करते हैं। साथ ही इस दिन प्रभु भोज का भी आयोजन किया जाता है।
ईस्टर की कहानी:
ऐसा कहा जाता है कि ईसा मसीह लोगों को सच्चाई की राह पर चलना सिखाते थे और लोगों अंधविश्वास को मानने से रोकते थे। इसी बात के कारण रोमन गर्वनर ने उनपर कोड़ें बरसाए और फिर क्रॉस पर उन्हें लटका दिया। साथ ही उनके सिर पर कांटों का ताज पहनाया और उनके ऊपर थूका भी। ऐसा होने के बावजूद भगवान यीशू ने उनलोगों के लिए प्रार्थना किया था और कहा था कि भगवान इन्हें मांफ कर देना। इनलोगों को पता नहीं है ये क्या कर रहे हैं। इसके बाद ईसा मसीह को कब्र में दफनाया गया और फिर कई महिलाएं उन्हें श्रद्धांजली देने पहुंचीं। जब महिलाएं श्रद्धांजली देने पहुंची तो उन्होंने देखा समाधी खाली है और वहां दो देवदूत हैं जिन्होंने ईसा मसीह के जिंदा होने की शुभ समातार दिया।
यहां हुआ था यीशु का जन्म:
बेतलेहेम दुनियाभर के ईसाइयों के लिए सबसे पवित्र और खास जगह मानी जाती है। मान्यताओं के अनुसार, यह वहीं शहर है जहां भगवान यीशु का जन्म हुआ था। यह शहर यरूशलेम से मात्र 5 कि.मी. की दूरी पर है। बेतलेहेम का चर्च ऑफ द नेटिविटी को दुनिया के सबसे प्राचीन चर्चों में से एक माना जाता है।
