शिक्षक दिवस 2018 Google Doodle, Dr Sarvepalli Radhakrishnan, Happy Teachers Day 2018: भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन दुनिया के महान दार्शनिकों तथा शिक्षाविदों में गिने जाते थे। 5 सितंबर 1988 को तिरुतनी में जन्में डॉ. राधाकृष्णन का जन्मदिन देश भर में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज गूगल ने भी शिक्षक दिवस पर डूडल बनाया है। उन्होंने तकरीबन 40 साल तक देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अध्यापन किया था। डॉ. राधाकृष्णन ने 1918 से 1921 तक मैसूर विश्वविद्यालय में तथा 1921 से 1931 और 1937 से 1941 तक कोलकाता विश्वविद्यालय में दर्शन शास्त्र पढ़ाया है। इसके अलावा 1931 से 1936 तक वह आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे थे।
डॉ. राधाकृष्णन इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में ‘प्राच्य धर्म और नैतिकता’ (Eastern religions and ethics) के प्रोफेसर रहे। इसके बाद 1939 में उन्होंने बीएचयू में बतौर कुलपति भी अपनी सेवाएं दीं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का कुलपतित्व संभालने के बाद डॉ. राधाकृष्णन दिल्ली विश्विद्यालय के चांसलर भी बने। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को में भारतीय शिष्ट मंडल का प्रतिनिधित्व भी किया है। 1940 से 1952 तक डॉ. साहब सोवियत संघ में भारत के राजदूत भी नियुक्त किए गए थे। 1952 में सोवियत संघ से लौटने के बाद ही उन्हें देश का पहला उपराट्रपति चुना गया था। इसके बाद 1962 में डॉ. राधाकृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति चुने गए। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के निधन के बाद उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
राष्ट्रपति बनने के 5 साल बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया। राधाकृष्णन दर्शन शास्त्र के बड़े विद्वान थे। उन्होंने अपने जीवन में अनेक पुस्तकों का लेखन किया। उन्होंने भारतीय दर्शन शास्त्र (Indian Philosophy), उपनिषदों का दर्शन शास्त्र(The Philosophy of the Upanishads), एन आइडियलिस्ट व्यू ऑप लाइफ, प्राच्य धर्म और पाश्चात्य विचार तथा इस्ट एंड वेस्टः सम रिफ्लेक्शन्स जैसी महत्वपूर्ण किताबों का लेखन किया। डॉ. राधाकृष्णन भारतीय दर्शन के बहुत बड़े ज्ञाता थे। अपने भाषणों तथा पुस्तकों में वह पश्चिम के लोगों को भारत के विचार तथा दर्शन समझाने की कोशिश करते दिखाई देते हैं। 16 अप्रैल 1975 को चेन्नई (तत्कालीन मद्रास) में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने आखिरी सांस ली।

