Missile Man APJ Abdul Kalam Death Anniversary: आज यानी 27 जुलाई को देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की सातवीं पुण्यतिथि है। ‘मिसाइल मैन’ के नाम से मशहूर डॉ. कलाम का आज ही के दिन साल 2015 में IIM शिलांग में भाषण देते समय दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। डॉ. कलाम भले ही हमारे बीच नहीं हों, लेकिन आज भी उनकी मिशाल दी जाती है। आपको बता दें कि साल 2002 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति चुने गए थे। वे अपनी सादगी के लिए भी मशहूर थे। आइये, आज डॉ. कलाम की पुण्यतिथि पर उनके जीवन से जुड़े के कुछ ऐसे ही किस्से जानते हैं।

राष्ट्रपति रहते हुए बस 2 बार ली थी छुट्टी

डॉ. कलाम ने वैज्ञानिक रहते हुए जितनी प्रसिद्धी हासिल की, उससे कहीं ज्यादा राष्ट्रपति रहते हुए मशहूर हुए। उन्होंने राष्ट्रपति भवन के दरवाजे आम लोगों के लिए खुलवाए। अपने 5 साल के कार्यकाल में डॉ. कलाम ने महज 2 बार ही छुट्टी ली थी। पहली छुट्टी उन्होंने तब ली थी जब उनके पिता का निधन हुआ था और दूसरी छुट्टी उन्होंने अपनी मां की मृत्यु के समय ली थी।

कर्मचारी के बच्चों खुद घुमाने ले गए

यह किस्सा डॉ. कलाम की सादगी को दर्शाता है। दरअसल, डॉ. कलाम उन दिनों डीआरडीओ में काम करते। एक बार उनके साथ काम करने वाले एक कर्मचारी ने उनसे जल्दी घर जाने की अनुमति मांगी क्योंकि बच्चों को एक प्रदर्शनी में लेकर जाना था लेकिन जरूरी काम के चलते वह समय पर घर नहीं पहुंच पाए।इस बात से काफी दुखी भी थे। लेकिन जब रात को करीब 8.30 बजे घर पहुंचे तो बच्चे घर पर थे ही नहीं। पत्नी से पूछने पर पता चला की ठीक 5 बजे डॉ. कलाम खुद घर आकर बच्चों को प्रदर्शनी दिखाने के लिए ले गए थे।

किसी से गिफ्ट नहीं लेते थे

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम बेहद साधारण, सुलझे और जमीन से जुड़ी शख़्सियत थे। वो कभी कभी किसी से कोई तोहफा नहीं लेते थे। डॉ. कलाम कहते थे कि दूसरों की खुशी और उनका आशीर्वाद की उनके लिए सबसे बड़ा तोहफा है। जब वो राष्ट्रपति पद से रिटायर हुए थे तो उन्हें किसी ने उपहार में 2 पेन दिए, लेकिन बड़े ही सहज भाव से लेने से मना कर दिया और वापस लौटा दिया था।

स्पेशल कुर्सी पर बैठने से कर दिया था इनकार

डॉ. एपीजे कलाम की सादगी का एक और उदाहरण तब देखने को मिला था जब वो आईआईटी बीएचयू के एक समारोह में चीफ गेस्ट के तौर पर आमंत्रित किये गए थे। जब वो समारोह में पहुंचे तो देखा कि उनके बैठने के लिए बड़ी और ऊंची कुर्सी रखी हुई थी, जबकि बाकी सब गेस्ट के लिए छोटी कुर्सी थी। यह सब देख कलाम ने उस कुर्सी पर बैठने से मना कर दिया था और अपने बैठने के लिए भी बाकी गेस्ट के जैसी कुर्सी ही मंगाई थी।