Janmashtami 2023 Bhog: पंचांग के मुताबिक गृहस्थ लोग आज यानि 6 सितंबर को जन्माष्टमी मना रहे हैं। जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। आज भाद्रपद महिने के कृष्ण कक्ष की अष्टमी तिथि पड़ रही है। इसी तारीख को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस दिन रात के 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्म के बाद लोग पूजा पाठ करते हैं और भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाते हैं। भगवान को भोग लगाने के लिए भक्त माखन के साथ ही धनिया पंजीरी भी तैयार करते हैं। इस दिन हर घर में कान्हा विराजते हैं और भक्त उनकी पूजा और उपासना में लीन रहते हैं।

जन्माष्टमी के मौके पर धनिया पंजीरी का खास महत्व है। धनिया पंजीरी को भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। इस प्रसाद के बिना जन्माष्टमी की पूजा अधूरी मानी जाती है। आप भी जन्माष्टमी में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा पाठ कर रहे हैं और उन्हें भोग लगाना चाहते हैं तो घर में ही भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय भोग धनिया पंजीरी को खास तरीके से तैयार करें।

भगवान श्री कृष्ण को भोग लगाने के लिए कैसे तैयार करें धनिया पंजीरी

सामग्री
दो कप धनिया का पाउडर
एक कप नारियल कद्दूकस किया हुआ
एक चौथाई कप घी
अपनी पसंद के ड्राईफ्रूट

धनिया पंजीरी को कैसे तैयार करें

धनिया पंजीरी को तैयार करने के लिए सबसे पहले एक कढ़ाही लें और उसमें थोड़ा सा घी डालें। अब कढ़ाही में सारे ड्राईफ्रूट्स डालें और उन्हें भून लें। ड्राईफ्रूट को हल्का भूरा होने पर कढ़ाही से निकाल लें। अब कढ़ाई में थोड़ा सा घी और डालकर उसमें धनिया पाउडर को हल्की आंच पर तब तक भूनें जब तक कि वो सुनहरा नहीं हो जाए। जब ये अच्छे से भुन जाएगा तो इससे बेहद अच्छी खुशबू आएगी।

अब इस धनिया पाउडर को भी कढ़ाई से निकाल लें। अब इस पेस्ट को कुछ देर ठंडा कर लें, जब ये ठंडा हो जाए तो इसमें भुने हुए मेवे,सूखा नारियल,चीनी और तुलसी का पत्ता डालकर अच्छे से मिक्स करें। याद रखें कि इसमें तुलसी का पत्ता जरूर डालें, क्योंकि ये भगवान कृष्णा को भोग लगाने के लिए बनाया जा रहा है। ये प्रसाद स्वाद में बेहद अच्छा और सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है।

इन बातों का भी रखें ध्यान

  • धनिया पंजीरी बनाने से पहले स्नान कर लें और खुद को पवित्र कर लें।
  • धनिया पंजीरी बनाने के लिए पहले चूल्हे की साफ-सफाई कर लें।
  • पंजीरी तैयार होने के बाद सबसे पहले श्रीकृष्ण को ही अर्पित करें।
  • प्रसाद को भोग लगाने के बाद ही परिवार और भक्तों को प्रसाद बांटें।