किसी प्रतियोगिता या परीक्षा में जीत या हार अधिक मायने नहीं रखती। दोनों ही स्थितियां आपको वास्तविकता से दूर ले जाती हैं। अगर आप किसी परीक्षा में अच्छे अंक आने या कामयाब होने से अहंकारी हो जाते हैं तो ऐसी कामयाबी आपके लिए किसी काम की नहीं। इसी तरह अगर किसी प्रतियोगिता या परीक्षा में विफल होने पर आप निराश हो जाते हैं तो भी वह प्रतियोगिता आपके लिए व्यर्थ है।
प्रतियोगिताएं मनुष्य के लिए बड़ी प्रेरणा का स्रोत होती हैं। ये आपको मंजिल तक पहुंचाती हैं। इन प्रतियोगिताओं में हमेशा आपका मुकाबला आपके सहपाठियों या भाई-बहनों से होता है। यह मुकाबला गलत मोड़ तब ले लेता है, जब आपका उद्देश्य दूसरे को हराना बन जाता है। हालांकि प्रतियोगिता और तुलना किसी भी विद्यार्थी के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं लेकिन इनका उसके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव ही पड़ना चाहिए। उसे प्रतियोगिता को खुद के आगे बढ़ने की एक सीढ़ी के तौर पर देखना चाहिए न कि किसी और के बढ़ने को अपने रास्ते की रुकावट के तौर पर।
सबसे पहले खुद को जानें : हर व्यक्ति हर क्षेत्र में उत्कृष्ट नहीं हो सकता है। इस बात को जल्द से जल्द स्वीकार कर लेना चाहिए। अपनी खूबियों को जानें और उन्हें मजबूत करें। इसी प्रकार अपनी कमियों को भी जानें और उन्हें दूर करने की कोशिश करें। कई बार देखा गया है कि एक व्यक्ति की कमियां बाद में उसकी सबसे बड़ा हथियार बन जाती हैं।
अपने लिए नए लक्ष्य निर्धारित करें : दूसरों के परिणामों से खुद का मूल्यांकन नहीं करें। आप अपने लिए नए-नए लक्ष्य बनाएं और उन्हें पूरा करें। आपका मुकाबला खुद से होना चाहिए जिसमें आप अपने पिछले कल से अपने आने वाले कल का मुकाबला करें और हर आने वाले कल को पिछले कल से बेहतर बनने के लिए कोशिश करें।
मेहनत पर अधिक ध्यान दें : जब आप अपनी तुलना दूसरों से करते हैं, तब आप उनके परिणाम पर ध्यान देते हैं। ऐसा करने की बजाय आप अपनी मेहनत पर भरोसा करें और अपने कमजोर पक्ष को मजबूत करने में जुट जाएं। मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता है और जीवन में सफलता पाने के लिए इससे बचने का कोई उपाय होता ही नहीं है।
दूसरों की सोच की परवाह न करें : कई बार हम दूसरों के कहने और सोचने की बहुत अधिक परवाह करते हैं। दूसरों के कहने पर न जाएं और न ही उससे परेशान हों। खुद की क्षमताओं को पहचानें और पूरी लगन से अपने उद्देश्य की प्राप्ति में लग जाएं। दोस्तों द्वारा समझाई गर्इं चीजें आसानी से समझ आ जाती हैं, इसलिए खुद को न समझ आने वाली चीजों को अपने दोस्तों से समझें। दोस्तों की अच्छी आदतों से भी सीख लें। हालांकि इसके लिए आपके पास बेहतर दोस्त होने जरूरी हैं।
अन्य लोगों की सफलता पर खुश हों : दूसरों की सफलता से उदास या निराश न हों, बल्कि इसे उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम समझ सीख लें और खुशी जाहिर करें। इससे आपके अंदर निराशा का भाव नहीं रहेगा और आप बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित होंगे।

