चंद्र ग्रहण एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है जो तब होती है जह पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं। चंद्र ग्रहण के दौरान पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है जिससे सूर्य की रोशनी चांद पर नहीं पड़ पाती। इस दौरान चांद पृथ्वी की छाया में आ जाता है। 10 जनवरी को लगने जा रहा ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। जिसमें पृथ्वी, चांद और सूर्य इस तरह साथ होंगे जिससे पृथ्वी की पूरी छाया चांद पर नहीं पड़ पायेगी। इस दौरान चंद्रमा के ऊपर एक धूल सी परत नजर आयेगी। आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण से जुड़ी कुछ जरूरी बातें-

1. 16 जुलाई 2000 को सबसे लंबा दर्ज किया गया चंद्रग्रहण था। यह ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत महासागर में दिखाई दे रहा था।

2. आंशिक चंद्र ग्रहण के दौरान, चंद्रमा का एक हिस्सा पृथ्वी की अंधेरी छाया से ढंका होता है, जिससे यह आभास मिलता है कि पृथ्वी की छाया चंद्रमा से थोड़ी दूर है। यह केवल तब होता है जब तीन खगोलीय पिंड पूरी तरह से संरेखित नहीं होते हैं।

3. महीने के हर पूर्णिमा पर ग्रहण नहीं होता है। चूंकि चंद्रमा की ऑर्बिट को सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा में पांच डिग्री पर बांध दिया जाता है, इसलिए चांद को पृथ्वी की कक्षा के अधिकांश समय या तो नीचे या ऊपर पाया जा सकता है।

4. पृथ्वी और सूर्य से बनने वाली तेज रोशनी को चंद्रमा पर अपवर्तित किया जाता है, जिससे इसकी रोशनी को हटाने के बजाय इसे लाल चमक मिलती है।

5. चंद्रग्रहण की अवधि पृथ्वी की छाया के आधार पर भिन्न होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रग्रहण 3 घंटे और 40 मिनट से अधिक समय तक नहीं चल सकता है। कुछ ग्रहण केवल 25 मिनट के भीतर भी हो सकता है।

6. ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा और सूर्य दोनों एक ही समय में देखे जाते हैं। यह केवल सूर्यास्त से पहले या सूर्योदय के बाद होता है। सूर्य और चंद्रमा दोनों क्षितिज के ठीक ऊपर आकाश में विभिन्न क्षेत्रों में दिखाई देते हैं।

7. चंद्रग्रहण सूर्यग्रहण से अधिक बार होता है। यह इस तथ्य के कारण है कि पृथ्वी द्वारा डाली गई छाया चंद्रमा से थोड़ी बड़ी है।

8. पूर्ण चंद्र के दौरान केवल चंद्रग्रहण होता है। यह भी तभी होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया के कुछ हिस्से से गुजरता है।