जब आप बेबी पाउडर के बारे में सोचते हैं, तो आपके दिमाग में सबसे पहले जॉनसन एंड जॉनसन का बेबी पाउडर आता है। हर कोई शिशुओं के लिए सर्वोत्तम उत्पादों का उपयोग करना चाहता है। इसलिए बाजार में अपनी गुणवत्ता के लिए जानी जाने वाली कंपनी के उत्पादों को खरीदने को प्राथमिकता दी जाती है। जॉनसन एंड जॉनसन बेबी उत्पादों में दुनिया के अग्रणी ब्रांडों में से एक है। लेकिन यह लोकप्रिय पाउडर फिलहाल कई देशों में प्रतिबंधित है। अब इसे महाराष्ट्र में भी बैन कर दिया गया है। जानिए क्यों लिया गया ऐसा फैसला –

जॉनसन कंपनी 1984 से बेबी पाउडर बेच रही है। यह पाउडर कंपनी का प्रतीक उत्पाद बन गया क्योंकि इसे परिवार के अनुकूल दिखाया गया था। साल 1999 से कंपनी के आंतरिक शिशु उत्पाद प्रभाग की ओर से इसका मार्केटिंग किया जा रहा था। इन सब के बीच मुख्य उत्पाद बेबी पाउडर था जो J&J की संपत्ति थी। बेबी पाउडर कई सालों से पूरी दुनिया में बेचा जा रहा है। लेकिन कंपनी की विश्वसनीयता को खतरा पैदा हो गया है क्योंकि यह पता चला है कि इन बेबी पाउडर में बहुत हानिकारक तत्व होते हैं।

जॉनसन बेबी पाउडर में कैंसर पैदा करने वाले तत्व

द गार्जियन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, यूएस ड्रग कंट्रोल एजेंसी की एक जांच में जॉनसन एंड जॉनसन के बेबी पाउडर के एक नमूने में कार्सिनोजेनिक क्राइसोटाइल फाइबर पाए गए। इससे कैंसर हो सकता है। इस पाउडर में एक खतरनाक एस्बेस्टस फाइबर पाया गया था। इस फाइबर को कैंसर का कारण माना जाता था।

इस मामले में 35 हजार महिलाओं ने कंपनी के खिलाफ गर्भाशय कैंसर होने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था। इस पाउडर से गर्भाशय का कैंसर होने पर एक अमेरिकी अदालत ने कंपनी पर 15,000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने कंपनी पर बच्चों की सेहत से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया था। कंपनी पर अपने उत्पादों में एस्बेस्टस मिलाने का भी आरोप लगाया गया था। कंपनी द्वारा किए गए अपराध की भरपाई पैसे से नहीं की जा सकती है। इससे जॉनसन के उत्पादों की अमेरिका में मांग बहुत कम थी। कंपनी ने बिक्री में गिरावट के कारण 2020 में अमेरिका और कनाडा में बेबी पाउडर की बिक्री बंद कर दी थी। फिर ब्रिटेन (यूके) में कंपनी के शेयरधारकों ने एक साथ आकर इस पाउडर की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव तैयार किया।

पीएच मानक के अनुरूप नहीं है

ऐसी जानकारी थी कि इस पाउडर को अमेरिका में भी बैन कर दिया गया है। तो इस पाउडर का परीक्षण भारत में किया गया। परीक्षण कोलकाता की एक प्रयोगशाला में किया गया था। उसकी रिपोर्ट आ गई है। इसमें खामियां पाई गई हैं। इसमें कहा गया है कि पीएच मानक के अनुरूप नहीं है। इससे बच्चों की त्वचा को नुकसान हो सकता है। इसलिए, महाराष्ट्र के खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने कंपनी के इस उत्पाद का लाइसेंस रद्द कर दिया है।

बच्चों के लिए क्यों है नुकसानदेह ?

दरअसल, टैल्कम पाउडर में टैल्क नाम का मिनरल होता है। यह एंटीसेप्टिक्स, बेबी पाउडर और टैल्कम पाउडर में इस्तेमाल होने वाला मुख्य खनिज है। यह एक स्ट्रीट हेरोइन है जो कि सेहत के लिए यह हानिकारक है। सांस के जरिए जब इसकी मात्रा हमारे शरीर में ज्यादा चली जाती है तो यह हमारे लिए खतरनाक हो जाती है। टैल्कम पाउडर विशेष रूप से शिशुओं में सांस की समस्या का कारण बनता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स द्वारा कई बार इसके इस्तेमाल से बचने या कम करने की सलाह दी जा रही है। अकादमी का दावा है कि सांस लेने पर इससे बच्चों में निमोनिया हो सकता है।