Yoga during pollution: दिल्ली-NCR समेत तमाम महानगरों में बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से लोगों का सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है। हवा में मौजूद हानिकारक कण, धुआं, धूल लोगों के फेफड़ों पर बुरा असर डाल रहे हैं। प्रदूषित हवा में जब लोग सांस लेते हैं तो उन्हें दिक्कत होती है। ऐसे में अक्सर लोगों के मन में यह सवाल होता है कि खराब AQI में कौन सा प्राणायाम बेहतर सांस लेने में मदद कर सकता है?

तो यहां हम आपको ऐसे 3 प्राणायाम के बारे में बताने जा रहे हैं। साथ ही जानेंगे खराब AQI में प्राणायाम करते समय किन बातों का ध्यान रखें। यहां हम कुछ ऐसे प्राणायामों के बारे में बताने जा रहे हैं जो फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाते हैं। इसके साथ ही शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं।

खराब AQI में प्राणायाम करते समय किन बातों का रखें ध्यान ?

प्रदूषण के दौरान मुंह से सांस लेने वाले श्वास व्यायामों से बचें, क्योंकि ये प्रदूषित परिस्थितियों में असुविधा को बढ़ा सकते हैं।
सुबह जल्दी या देर शाम प्रदूषण अपेक्षाकृत कम होता है। इसलिए प्राणायाम या एक्सरसाइज करने के लिए टाइमिंग सेट करें।
बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए इंडोर वर्कआउट चुनें। अगर घर में एयर प्यूरीफायर लगा सकते हैं तो इसे लगाकर ही प्राणायाम करें।

नाड़ीशोधन (Nadishodhana)

यह सूक्ष्म नाड़ियों (नाड़ियों) को साफ करके शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है। इसे करने के लिए अपनी रीढ़ सीधी करें। इसके बाद बाएं हाथ को घुटने पर और दाएं हाथ को नाक के पास रखकर बैठें। एक नासिका बंद करें, दूसरी से गहरी सांस लें। फिर सांस छोड़ने के लिए नासिका बदलें। यह प्रक्रिया मन को साफ और शांत करती है। संतुलित ऊर्जा प्रदान करती है। इसे पांच मिनट या नौ चक्रों तक करें। ध्यान केंद्रित करने के लिए आंखें बंद रखें।

भस्त्रिका (Bhastrika)

एक शक्तिशाली श्वास तकनीक है। इसमें जोर से सांस लेना और छोड़ना शामिल है। यह शरीर की नाड़ियों को उत्तेजित करता है। साथ ही रक्त प्रवाह को बढ़ावा देता है। इसे करने के लिए अपने कंधों के सामने मुट्ठियां बांधकर सीधे बैठें। गहरी सांस लें। अपने हाथों को ऊपर उठाएं और जोर से सांस छोड़ें। तनाव मुक्त करने और ऊर्जा बढ़ाने के लिए 20 सांसों के तीन सेट करें।

कपालभाति (Kapalbhati)

चेहरे पर चमक लाने से लेकर पेट को सही रखने के लिए लोग यह प्राणायाम करते हैं। इसके साथ ही बेहतर सांस लेने में भी यह मदद करता है। कपालभाति उदर की मांसपेशियों का उपयोग करता है। इसे करने के लिए गहरी सांस लें, फिर अपनी नाभि को अंदर की ओर खींचते हुए तेजी से सांस छोड़ें। इसे प्रति चक्र 20 बार दोहराएं। एक्सपर्ट तीन चक्रों की सलाह देते हैं। यह प्राणायाम प्रदूषण से संबंधित श्वसन संबंधी समस्याओं से बचाता है।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह औार सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए एक्सपर्ट से जरूर परामर्श करें।