केसर के बारे में तो सबने सुना और पढ़ा ही होगा। अगर बात उठती है स्वाद और सौंदर्य बढ़ाने की तो उसमें सबसे पहला नाम कश्मीरी केसर का नाम आता है। हालांकि सुंदरता और स्वाद में इस्तेमाल होने वाला कश्मीरी केसर जेब पर भारी पड़ता है। लेकिन यह कई बीमारियों का रामबाण इलाज करता है। वैसे तो कश्मीरी केसर आसानी से कहीं से भी खरीदा जा सकता है लेकिन इसकी खेती कश्मीर और हिमाचल में ही होती है। इसकी खेती का अच्छा समय जुलाई से सितंबर तक है।

कैंसर
केसर लाखों रुपए तक में मिलता है और भारत में कैंसर के इलाज पर भी बहुत रुपया खर्च हो जाता है। कहने का मकसद है कि केसर में कैंसर की काट है। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी में केसर काफी मददगार होता है। क्रोसिन नामक कम्पाउंड केसर में होता है। यह कोलोरेक्टल कैंसर को फैलने नहीं देता। साथ ही यह बॉडी को ताकत देता है कि कैंसर से लड़ सके। इसके अलावा कश्मीरी केसर स्किन कैंसर और प्रोटेस्ट कैंसर से भी बचाता है।

अर्थराइटिस की ‘दवा’
केसर अर्थराइटिस की भी दवा है। केसर में क्रोसेटिन होता है। यह मस्तिष्क से ऑक्सीजन की कमी दूर करता है। जो अर्थराइटिस में मददगार है।

बढ़ाए यादाश्त
केसर आपकी यादाश्त भी बढ़ाता है।केसर का सेवन जरूर करने से दिमाग स्वस्थ रहता है। इसके सेवन से भूलने की समस्या खत्म हो जाती है।।

अल्जाइमर में मददगार
अगर अल्जाइमर के मरीज प्रतिदिन केसर का सेवन करें तो उन्हें इस बीमारी से राहत मिल सकती है। इससे मरीज जल्दी रिकवर करेगा।

फायदा पाने के लिए ऐसे करें असली की पहचान-

सूंघने पर केसर मीठा लगता है। हालांकि गंध से ठीक उलट इसका स्वाद होता है। टेस्ट करने में यह कड़वा होता है। असली केसर की पहचान करने के लिए चुटकी से भी कम केसर जीभ पर रखें। अगर कुछ ही मिनट बाद यह गर्मी देने लगे तो समझ जाएं कि आपका केसर असली है।

नकली केसर पानी के संपर्क में आते ही अपना रंग छोड़ देता है।

मिलावटी केसर पानी में पड़ने पर लाल रंग का हो जाता है है जबकि असली केसर पानी में जाने पर गहरे पीले रंग का दिखता है।