आयुर्वेद में कई ऐसे पेड़-पौधों के बारे में बताया गया है, जो आसानी से आपके आसपास मिल जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर इन पेड़-पौधों से कई तरह की दवाएं बनाई जाती है। इन्हीं में से एक पौधा है कचनार। ये पौधा आयुर्वेद में काफी खास माना जाता है,क्योंकि इसके फूल, तना, छाल से लेकर हर एक चीज से औषधियां बनती है। इसके फूल का सेवन करने से कई तरह की बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है। जानिए कचनार के फायदों के साथ किस तरह से सेवन करना होगा लाभकारी।

आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉक्टर रेखा के अनुसार, कचनार का फूल पांच पंखुड़ी वाला गुलाबी रंग का होता है जिसमें बीच में सफेद रंग में खुलने से पहले भरी हुई कलियों के रूप में दिखाई देते हैं। एक जड़ी बूटी के रूप में यह कई बीमारियां जैसे कि हाइपोथायरायडिज्म, कैंसर, थायराइड आदि से निजात दिला सकती है। लेकिन इन पत्तियों का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

कचनार दिलाएगा किन बीमारियों से निजात

कचनार विभिन्न बीमारियां जैसे कि बवासीर, खांसी, दस्त, पेचिश, नाराज़गी, रक्तमेह, अपच, मलेरिया, मेनोरेजिया, त्वचा रोग, गले में खराश, टीबी, अपच के उपचार में फायदेमंद है। , ब्रोंकाइटिस, कुष्ठ रोग, अल्सर, मोटापा आदि से छुटकारा दिला सकता है।

तीन दोषों को भी करें संतुलित

हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि आयुर्वेद में यह पौधा इसलिए और भी ज्यादा लाभकारी माना जाता है, क्योंकि यह तीन दोषों – वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करता है, क्योंकि कचनार में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ट्यूमर, एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुणों के साथ एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं।

कैसे करे कचनार का सेवन?

एक-चौथाई या आधा चम्मच कचनार पाउडर लेकर इसे गुनगुने पानी या शहद के साथ दिन में दो बार ले सकते हैं।

किन लोगों को नहीं करना चाहिए कचनार का सेवन

कचनार के फूल का पाउडर बनाकर पीना लाभकारी हो सकता है। इसके लिए इसके फूलों को छाया में सुखाकर पीस लें। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, किडनी ट्रांसप्लांट, लीवर संबंधी समस्या या फिर हाल में ही कोई थेरेपी या सर्जरी हुई हो। इसके अलावा गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कचनार का सेवन करने से बचना चाहिए।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।