आज के समय में अनियमित खानपान और आरामदायक लाइफस्टाइल के कारण लोगों का शरीर बीमारियों का घर बनना शुरू हो गया है। ऐसी ही एक समस्या है, शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ना। यूरिक एसिड के बढ़ने से घुटनों में दर्द, उठने-बैठने में तकलीफ, गठिया-बाय और जोड़ों में दर्द की समस्याएं होने लगती हैं। यूं तो अधिकांस यूरिक एसिड शरीर से पेशाब और मल-त्याग के जरिए बाहर निकल जाता है। लेकिन अगर इसकी मात्रा बढ़ने लगती है, तो यह धीरे-धीरे हड्डियों के बीच जमा होने लगता है।
बता दें, शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा प्यूरिन नाम के तत्व के टूटने से बढ़ती है। इससे अर्थराइटिस जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा भी बढ़ जाता है। हालांकि, आयुर्वेदिक और घरेलू उपायों के जरिए इसको कम किया जा सकता है।
लौकी का सूप होता है फायदेमंद: लौकी में कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें कार्बोहाइड्रेट, आयरन, विटामिन-बी और मिनरल्स पाए जाते हैं। यूरिक एसिड में लौकी का सूप का सेवन करना काफी कारगर साबित होता है। इसके लिए रोजाना सुबह सूप पीना चाहिए। यह पेट में भारीपन, भूख न लगना, लीवर और किडनी संबंधी समस्या में भी लाभकारी है।
ज्यादा पानी पिएं: ज्यादा पानी पीना यूं तो काफी फायदेमंद होता है, लेकिन साथ ही यह शरीर में बन रहे यूरिक एसिड को भी कम करता है। इसके लिए रोजाना 2 से 3 लीटर पानी पीना चाहिए।
सेब का सिरका: सेब की तरह ही सेब का सिरका भी शरीर के लिए काफी लाभदायक होता है। यह कई बीमारियों को दूर करने में कारगर साबित होता है। इसके लिए एक गिलास पानी में दो चम्मच सेब का सिरका मिलाकर दिन में दो बार सेवन करना चाहिए। इससे धीरे-धीरे आपका यूरिक एसिड कम होने लगता है।
आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियां हैं, तो शरीर की हर बीमारी को ठीक करने की क्षमता रखती हैं। इन जड़ी-बूटियों के सही इस्तेमाल से यूरिक एसिड के लेवल को भी कंट्रोल किया जा सकता है।
बथुए के पत्ते हैं फायदेमंद: यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए बथुए के पत्ते भी काफी फायदेमंद साबित होते हैं। इसके लिए सुबह खाली पेट बथुए के पत्ते का जूस निकालकर इसका सेवन करना चाहिए। जूस को पीने के बाद दो घंटों तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए।