भारतीय राजनीति के ‘अजातशत्रु’ कहे जाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी बेहद जिंदादिल इंसान थे। वे अपने विरोधियों से भी उतनी ही गर्मजोशी से मिला करते थे, जितना दोस्तों से। खाने-पीने के शौकीन वाजपेयी की निजी जिंदगी भी दिलचस्प रही है, खासकर राजकुमारी कौल के साथ उनके संबंध। सियासी गलियारों में दोनों के संबंधों की खूब चर्चा हुई, लेकिन उन्होंने न तो इन चर्चाओं पर ध्यान दिया और ना ही अपने रिश्ते को कोई मुकम्मल नाम दिया।
राजकुमारी कौल और अटल बिहारी वाजपेयी की पहली बार मुलाकात ग्वालियर के तत्कालीन विक्टोरिया कॉलेज में हुई थी। ये साल था 1941। यहां दोनों साथ पढ़ा करते थे और यहीं धीरे-धीरे उनकी दोस्ती गाढ़ी हुई। किंगशुक नाग अपनी किताब ‘अटल बिहारी वाजपेयी: अ मैन फॉर ऑल सीजंस’ में लिखते हैं कि उन दिनों नौजवान अटल बिहारी वाजपेयी ने राजकुमारी के लिए एक ख़त लिखा और इसे एक किताब में रखकर लाइब्रेरी में छोड़ दिया। लेकिन उन्हें कभी उस ख़त का जवाब नहीं मिला। हालांकि राजकुमारी ने जवाब दिया था और उन्होंने भी जवाबी ख़त को एक किताब में रखकर छोड़ दिया। लेकिन वाजयेपी को इसका पता नहीं चला।
किंगशुक नाग अपनी किताब में मिसेज कौल के रिश्तेदार और बिजनेसमैन संजीव कौल के हवाले से लिखते हैं लिखते कि दरअसल राजकुमारी कौल अटल से शादी करना चाहती थीं, लेकिन उनके घरवाले इसके लिए तैयार नहीं थे और उन पर काफी दबाव था। कौल अपने आप को ऊंचा मानते थे। बाद में राजकुमारी की शादी कॉलेज के टीचर बृज नारायण कौल से करा दी गई। फिर धीरे-धीरे दोनों अपनी जिंदगी में आगे बढ़ गए।
राजकुमारी अपने पति के साथ दिल्ली चली आईं, जहां वे रामजस कॉलेज में प्रोफेसर थे। वहीं अटल बिहारी सियासत के रास्ते दिल्ली पहुंचे। चर्चित लेखक विनय सीतापति की हालिया किताब ‘जुगलबंदी द बीजेपी बिफोर मोदी’ में भी वाजपेयी के जीवन से जुड़े तमाम किस्सों पर प्रकाश डाला गया है। वाजपेयी जब लोकसभा चुनाव जीतने के बाद दिल्ली पहुंचे तो उनके पास रामजस कॉलेज में भाषण देने का एक अनुरोध पहुंचा। यहीं उनकी 16 साल बाद दोबारा राजकुमारी कौल से मुलाकात हुई।
किंगशुक नाग लिखते हैं कि उस दौर में राजकुमारी कौल के पति रामजस कॉलेज के हॉस्टल वार्डन भी हुआ करते थे और काफी स्ट्रिक्ट व्यक्ति थे। एक बार कुछ छात्रों ने मिसेज कौल से इसकी शिकायत करने की ठानी।
इसमें पूर्व आईएएस अधिकारी एसके दास भी शामिल थे, जो उन दिनों रामजस कॉलेज में पढ़ते थे और हॉस्टल में ही रहा करते थे। वे याद करते हुए हैं कि अक्सर मिसेज कौल के घर पर अटल बिहारी वाजपेयी से हमारा सामना हो जाता था। बाद में हमें झेंप महसूस हुई और लगा कि कबाब में हड्डी बन जाते थे।
