साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद यूपीए गठबंधन ने सरकार बनाई थी और मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने थे। जबकि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरी एनडीए को इन चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा था। इन चुनावों के बाद बीजेपी में उथल-पुथल का दौर शुरू हो गया था। दिवंगत राजनेता प्रमोद महाजन से हार के कारण के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने साफ कहा था कि कहीं न कहीं हमारे से ही कमी रह गई होगी।
टीवी शो ‘आपकी अदालत’ में वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने प्रमोद महाजन से सवाल किया था, ‘आपने राजनीति को मैनेजमेंट साइंस की तरह इस्तेमाल किया। जैसे किसी चीज की मार्केटिंग की जाती है। आपने हर प्रेस कॉन्फ्रेंस को इवेंट बना दिया, अभिनेताओं को चुनाव लड़वाया। अटल बिहारी वाजपेयी को एक ब्रांड बनाकर मार्केटिंग की, जैसे तेल, साबुन और टूथपेस्ट बेचा जाता है। आपने उसी तरह वाजपेयी को भी बेचा।’
प्रमोद महाजन ने इसके जवाब में कहा था, ‘हमने ये सारे नुस्खे राजस्थान में किए और हमें 120 सीटें मिलीं तो लोगों ने बहुत प्रशंसा की। लोगों ने हमारे बारे में संपादकीय लिखना शुरू किया कि अब प्रमोद महाजन को अमेरिका भेजकर बुश को गाइड करना चाहिए। अब लोकसभा चुनाव में हमारी हार हुई तो लोगों ने कहा कि इन्हें कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए। मैं लोगों को इसमें कोई दोष नहीं देता। क्योंकि जो जीता वो सिकंदर होता है बाकि सब खराब मुकद्दर होता है।’
हार के बाद क्या करेंगे? प्रमोद महाजन कहते हैं, दो मैचों में हार मिलने का ये मतलब नहीं होता कि संन्यास ही ले लिया जाए। राजनीति में हमारी आज हार हुई है तो कल फिर जीत होनी तय है। इसलिए अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी कि मैं राजनीति छोड़ने वाला हूं।
बता दें, 2004 के चुनावों में बीजेपी को 138 सीटों पर जीत मिली थी। जबकि कांग्रेस ने 145 सीटें जीती थीं। वाम दलों ने 43 सीटों पर जीत हासिल की थी। अन्य दलों को मिलाने के बाद यूपीए ने सरकार बनाई थी, जिसके बाद यूपीए गठबंधन की 300 से ज्यादा सीटें हो गई थीं।