अच्छे स्वास्थ्य के लिए अमृत के रूप में जाना जाने वाला शहद कई स्वास्थ्य लाभों से भरा हुआ है। इसे ‘मधु’ भी कहा जाता है, शहद को खाने के साथ, बाहरी रूप से त्वचा पर भी लगाया जा सकता है। तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आयुर्वेद द्वारा भी शहद की सिफारिश की जाती है। डॉ दीक्सा भावसार ने सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा कि आयुर्वेदिक ऋषि, चरक ने 500 साल पहले लिखा था कि “शहद के अनुचित सेवन के कारण अमा से संबंधित परेशानी होती है।” आयुर्वेदिक चिकित्सा में शरीर में अमा या अपाच्य पदार्थ को लगभग सभी रोगों का मूल कारण माना गया है। शहद को गर्म करने से पाचन प्रक्रिया को सहारा देने वाले एंजाइम नष्ट हो जाते हैं, इसलिए सेवन करने पर शरीर में अमा (विषाक्त पदार्थ) पैदा होता है।

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में केरल आयुर्वेद की डॉ अर्चना सुकुमारन ने सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि शहद एक बढ़िया उत्प्रेरक एजेंट है जो जड़ी-बूटियों के गुणों को बढ़ाने में मदद करता है और उनके अवशोषण में सुधार करता है, इसलिए आमतौर पर कई आयुर्वेद यौगिकों के साथ शहद सह-पेय के रूप में उपयोग किया जाता है। सामान्य तौर पर मीठे पदार्थ कफ दोष को बढ़ाते हैं, लेकिन शहद एक अपवाद है। यह मीठा होता है, लेकिन कसैला और सूखा भी होता है – इसलिए, कफ को संतुलित करता है और श्वसन रोगों में भी सहायक होता है। अन्य मीठे पदार्थों की तुलना में यह पचने में हल्का होता है।

डॉक्टर एक मुताबिक गर्म होने पर आयुर्वेद में शहद को विष या जहर माना जाता है; यह अमा का कारण बनता है। गर्म होने पर, शहद की संरचना भी बदल जाती है और यह एक चिपचिपे पदार्थ में बदल जाता है, जिसे पचाना मुश्किल होता है। उन्होंने आयुर्वेद के अनुसार शहद के चिकित्सीय उपयोगों के बारे में बात करते हुए बताया कि शहद आंखों और आंखों की रोशनी के लिए बहुत अच्छा होता है। साथ ही यह प्यास बुझाता है और कफ को घोलता है। डॉक्टर के मुताबिक शहद मूत्र मार्ग के विकारों, दमा , खांसी, दस्त, जी मिचलाना और उल्टी में बहुत उपयोगी है। चूंकि यह एक नेचुरल डिटॉक्सिफायर है। शहद हृदय के लिए अच्छा है, त्वचा में सुधार करता है और कामोत्तेजक भी है। इसके साथ ही गहरे घावों को जल्दी भरने में मदद करता है।

हालांकि, डॉ दीक्सा ने शहद का उपयोग करते समय सावधानियों का पालन करने का सुझाव देते हुए कहा कि शहद को गर्म भोजन या पानी के साथ नहीं मिलाना चाहिए। साथ ही गर्म वातावरण में काम करते समय शहद का सेवन नहीं करना चाहिए और शहद को कभी भी घी के साथ या गर्म, मसालेदार भोजन, किण्वित पेय (जैसे, व्हिस्की, रम, ब्रांडी) के साथ नहीं मिलाना चाहिए।

वहीं डॉक्टर सुकुमारन के मुताबिक “घी को जब वजन के अनुसार समान अनुपात में शहद के साथ मिलाया जाता है, तो यह पाचन प्रक्रिया से गुजरते हुए इसे अमा या विष में बदल देता है। शहद पित्त को बढ़ा सकता है; इसलिए इसे मसालेदार भोजन के साथ लेने से यह और भी बढ़ जाता है।”