सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 22 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे दंपति को तलाक की मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा, “जिन मामलों में मुकदमे काफी लंबे समय से लंबित है, उनमें पक्षों के बीच संबंध तोड़ना ही पक्षों और समाज के सर्वोत्तम हित में है।”
जस्टिस मनमोहन और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने जोड़े के वैवाहिक संबंध को खत्म करते हुए कहा यह रिश्ता पूरी तरह खत्म हो चुका है। बेंच ने आगे कहा कि वैवाहिक केस का लंबे समय से लंबित रहना केवल कागजों पर ही विवाह को बनाए रखता है और पक्षों को राहत दिए बिना वैवाहिक केस को कोर्ट में लंबित रखने से कोई अहम उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
2001 से रह रहे अलग
बता दें कि दोनों का विवाह साल 2000 में हुआ था और दोनों 2001 से ही अलग-अलग रह रहे थे। दोनों की शादी से कोई बच्चा भी नहीं है। साल 2003 में पति ने शिलॉन्ग में तलाक के लिए मुकदमा दायर किया था, जो कि थोड़े दिन बाद खारिज कर दिया गया था। इसके बाद उसने साल 2007 में दोबारा अदालत की ओर रूख किया और 2010 में तलाक ले लिया। फिर एक अपील पर हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को 2011 में रद्द कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट में कई साल से था लंबित
इसके बाद पति ने 2011 में ही हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिस पर 14 साल के लंबे अंतराल के बाद मंगलवार को आदेश जारी किया गया।
‘तालमेल बिठाने से इनकार करना ही क्रूरता’
जस्टिस मनमोहन ने कहा, “इस केस में पति-पत्नी शादीशुदा जीवन के प्रति अपने-अपने विचार रखते हैं और लंबे समय से एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठाने से इनकार करते रहे है। इसलिए दोनों का व्यवहार एक-दूसरे के प्रति क्रूरता के बराबर है। ऐसे में कोर्ट का मानना है कि दो व्यक्तियों से जुड़े वैवाहिक मामलों में, यह समाज या कोर्ट का काम नहीं है कि वह यह तय करे कि पति या फिर पत्नी का दृष्टिकोण सही है या गलत। उनके विचार और एक-दूसरे के साथ तालमेल न बिठाना ही एक-दूसरे के प्रति क्रूरता है।”
बेंच ने कहा कि कोर्ट का दृष्टिकोण विवाह की पवित्रता को बनाए रखना होना चाहिए और किसी एक पक्ष के मात्र अनुरोध पर विवाह खत्म करने में संकोच करना चाहिए। लेकिन, इस मामले में पक्षकार काफी लंबे समय से अलग रह रहे हैं, यहां विवाह की पवित्रता समाप्त हो चुकी है। इसमें अब सुलह की कोई गुंजाइश नहीं बची है। साथ ही इन्हें तलाक देने से किसी तीसरे पक्ष पर कोई गंभीर प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि विवाह से उनकी कोई संतान नहीं है।
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