भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (CJI Gavai) ने मंगलवार को अदालती कार्यवाही के दौरान न्यायाधीशों द्वारा की गई मौखिक टिप्पणियों को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश किए जाने पर चिंता व्यक्त की। सीजेआई अदालत में एक सुनवाई के दौरान बोल रहे थे। हल्के-फुल्के अंदाज में बोलते हुए सीजेआई गवई ने एक किस्सा साझा किया कि उन्होंने अपने सहयोगी न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन को एक मामले की पिछली सुनवाई के दौरान कुछ खुली टिप्पणियां करने से रोक दिया था। CJI का कहना था कि ऐसा उन्होंने ऑनलाइन गलत व्याख्या से बचने के लिए किया था।

CJI ने कहा कि मैंने इसलिए उन्हें टिप्पणी करने से रोका था क्योंकि सोशल मीडिया पर हमें नहीं पता क्या रिपोर्ट किया जाता है। उन्होंने कहा कि मैंने अपने भाई से अनुरोध किया था कि वह इसे केवल मेरे कानों तक ही सीमित रखें।

CJI पर जूता फेंकने की कोशिश

बता दें कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक वकील ने CJI गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। राकेश किशोर नाम के वकील ने जूता फेंकने की कोशिश की थी और उसके बाद उसे हिरासत में ले लिया था। वकील कथित तौर पर भगवान विष्णु की मूर्ति की पुनर्स्थापना पर पिछले कुछ दिनों से CJI की टिप्पणी से नाखुश था।

घटना के बाद वकील को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि बाद में कोर्ट ने उन्हें रिहा करने के लिए कह दिया। आरोपी वकील मयूर विहार इलाके का निवासी है और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का मेंबर भी है। पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।

क्या थी घटना?

CJI पर जूता फेंकने की घटना खजुराहो में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना से संबंधित एक मामले में मुख्य न्यायाधीश गवई की टिप्पणियों के कारण हुई। सीजेआई गवई की टिप्पणी से सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया था और कई लोगों ने मुख्य न्यायाधीश पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। दो दिन बाद अदालत में इस विवाद पर बोलते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि उनका कोई अनादर करने का इरादा नहीं था।