कर्नाटक हाईकोर्ट ने विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय और विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) को निर्देश दिया है कि वे भारत में रह रही एक पाकिस्तानी नागरिक के नए नागरिकता आवेदन पर सक्रियता से विचार करें और उसके दीर्घकालिक वीजा की अवधि पूरी होने से पहले प्रक्रिया पूरी करें।
याचिकाकर्ता निगहत यासमीन ने एक भारतीय नागरिक मोहम्मद यूनुस की पत्नी हैं और उनके दो बच्चे हैं, जो भारतीय नागरिक हैं। उन्होंने यह आरोप लगाते हुए कोर्ट का रुख किया कि उनकी पूर्व नागरिकता संबंधी अर्जियों पर संबंधित अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की।
कोर्ट ने 18 दिसंबर को यह माना कि भारत-पाकिस्तान हालिया संघर्ष के बाद वीजा नीति में हुए बदलावों, खासकर से e-FRRO पोर्टल की अनिवार्यता के कारण पाकिस्तानी नागरिकों के आवेदनों की प्रक्रिया प्रभावित हुई है। जस्टिस सूरज गोविंदराज ने कहा कि यासमीन ने e-FRRO पोर्टल की जरूरी शर्तों का पालन किया है, इसके बावजूद उनका मामला अभी तक उचित विचार के लिए लंबित है।
‘प्रक्रिया निष्पक्ष रूप से निपटाई जाए’
जस्टिस ने स्पष्ट किया कि भले ही सरकार के आदेश से पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं निलंबित की गई हों, लेकिन जिनके पास वैध दीर्घकालिक वीजा है, उन्हें आवेदन की प्रक्रिया चलने तक भारत से निकाले जाने या किसी भी तरह की जबरदस्ती की कार्रवाई से अलग रखा जाएगा।
कोर्ट ने यासमीन को लंबित कई आवेदनों को वापस लेकर सभी को मिलाकर एक आवेदन दायर करने की इजाजत दी है। कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि नया आवेदन दायर होने के बाद उसे निर्धारित समयसीमा के भीतर निपटाया जाए। कोर्ट के निर्देश यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दिए गए हैं कि यासमीन की नागरिकता अर्जी मौजूदा कानूनों और समय सीमा के तहत भारत में उनके पारिवारिक संबंधों को ध्यान में रखते हुए, निष्पक्ष रूप से निपटाई जाए।
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