Supreme Court Judge Justice Surya Kant: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत ने बुधवार को कहा कि भारत और श्रीलंका के बीच पर्यावरण सहयोग दान या कूटनीति का मामला नहीं है, बल्कि अस्तित्व का सवाल है।

कोलंबो विश्वविद्यालय के विधि संकाय में ‘भारत-श्रीलंका नीति वार्ता: पर्यावरणीय स्थिरता और क्षेत्रीय सहयोग को आगे बढ़ाना’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि बंगाल की खाड़ी ‘‘हमें विभाजित नहीं करती, बल्कि साझा पारिस्थितिक नियति के माध्यम से दोनों देशों को बांधती है।’’

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि पाल्क खाड़ी और मन्नार की खाड़ी जैव विविधता के प्रमुख स्थान हैं, जहां प्रवाल भित्तियां, समुद्री घास के मैदान और लुप्तप्राय प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन ये क्षेत्र अत्यधिक मछली पकड़ने और अनियमित तटीय निर्माण के कारण गंभीर संकट में हैं।

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न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि इसके कारण इस समुद्री पर्यावरण के कुछ हिस्सों में पारिस्थितिकी तंत्र ध्वस्त हो गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न ज्वलंत मुद्दों के मद्देनजर, भारतीय और श्रीलंकाई न्यायपालिकाओं के लिए यह उपयुक्त समय है कि वे क्षेत्रीय पर्यावरणीय संवैधानिकता के एक मॉडल को आगे बढ़ाएं तथा यह स्वीकार करें कि कुछ पर्यावरणीय अधिकार और कर्तव्य सीमाओं से परे हैं।

उन्होंने कहा कि भारत और श्रीलंका सदियों से न केवल संस्कृति और व्यापार से, बल्कि हिंद महासागर की पारिस्थितिकी से भी घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं और जैसे-जैसे पर्यावरणीय क्षरण तेज होता जा रहा है, इससे निपटने की जिम्मेदारी भी सामूहिक है।

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