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Pranab Mukherje, President Pranab Mukherje, bungalow
विश्वविद्यालय बनें खुली अभिव्यक्ति और वादविवाद का केंद्र: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

राष्ट्रपति ने कहा- डॉ. अमर्त्य सेन ने अपनी किताब ‘दि आर्ग्यूमेंटेटिव इंडियन’ में सही लिखा है कि वादविवाद और परिचर्चा…

व्यंग्य: कैसे हो जमनालाल?

जमनालाल ने भगवान को कभी देखा नहीं। सुना भर है उसके बारे में कि वह सर्वशक्तिमान होता है। हां, जमनालाल…

कहानी: अपनेपन की खुशबू

दुकानों से रिस कर आती रोशनी सड़क पर पसरी हुई थी। पर इसके बावजूद वह अकेला हो गया था। उसने…

सुधीश पचौरी: कब तक कश्मीर!

देश लौटने के बाद सिंधू को दो दिन तक कवरेज मिला और साक्षी को सिर्फ एक दिन! यह कैसा प्रोफेशनलिज्म…

वास्तवबोध की अभिव्यक्ति

सामाजिक उथल-पुथल ही साहित्यिक आंदोलनों के मूल में होती है। जब भी कोई नया आंदोलन उभरता है, अभिव्यक्ति के स्थापित…