भारतीय क्रिकेट टीम का कोच संकट थमता नजर नहीं आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) ने रवि शास्त्री को मुख्य कोच, राहुल द्रविड़ को बल्लेबाजी कोच और जहीर खान को गेंदबाजी कोच नियुक्त किया। लेकिन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रवि शास्त्री जहीर खान को गेंदबाजी कोच बनाए जाने से खुश नहीं हैं। शास्त्री भरत अरुण नामक पू्र्व क्रिकेटर को जहीर की जगह गेंदबाजी कोच बनवाना चाहते हैं। अरुण शास्त्री के पुराने मित्र हैं। दोनों अंडर 19 टीम में साथ थे। रिपोर्ट के अनुसार जब शास्त्री 2014 में भारतीय टीम के डायरेक्टर बनाए गए थे तो उनके कहने पर एन श्रीनिवासन ने अरुण को भारतीय टीम का गेंदबाजी कोच बनवाया था।
इससे पहले खुद शास्त्री का कोच के रूप में चयन विवादों में घिरा रहा क्योंकि सीएसी के सदस्यों सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण ने पूर्व कोच अनिल कुंबले को अगले दो साल के लिए टीम का कोच चुना था लेकिन कप्तान विराट कोहली के विरोध के चलते कुंबले ने इस्तीफा दे दिया। कुंबले के इस्तीफे के बाद कोहली की मर्जी के अनुरूप शास्त्री को कोच नियुक्त कर दिया गया। शास्त्री ने अपने मंसूबे साफ करते हुए टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार से कहा कि अपना सहायक स्टाफ चुनना कोच का अधिकार है। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सीएसी ने बल्लेबाजी और गेंदबाजी कोच नियुक्त करते समय शास्त्री से राय नहीं ली थी। शास्त्री ने मीडिया से कहा है कि जहीर खान गेंदबाजी सलाहकार की भूमिका में टीम से जुड़े रह सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि शास्त्री ने साफ कह दिया कि वो गेंदबाजी कोच के तौर पर अरुण को ही चाहते हैं।
मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि शास्त्री पिछले साल जब कोच का इंटरव्यू देने आए थे तो उन्होंने सीएसी के सामने मांग रखी थी कि कोच बनाए जाने पर वो अपने छह पुराने सहयोगी स्टाफ को दोबारा अपना साथ रखेंगे। ये सहयोगी स्टाफ थे, बल्लेबाजी कोच संजय बांगड़, गेंदबाजी कोच भरत अरुण, फील्डिंग कोच आर श्रीधर, फीजियो पैट्रिक फरहार्ट, ट्रेनलर शंकर बूस और टीम सहायक रघु। 2016 में सीएसी ने शास्त्री पर तरजीह देते हुए अनिल कुंबले को एक साल के लिए टीम का कोच नियुक्त किया था। इस साल कोच की दौड़ में ऑस्ट्रेलिया खिलाड़ी टॉम मूडी, भारतीय खिलाड़ी वीरेंद्र सहवाग, लालचंद राजपूत इत्यादि भी थे लेकिन सीएसी ने कोहली की मर्जी को ध्यान में रखते हुए शास्त्री के नाम पर मुहर लगाई।
भरत अरुण ने अपना टेस्ट डेब्यू 1986 में श्रीलंका के खिलाफ किया था। उन्होंने अपने करियर में कुल दो टेस्ट मैच खेले और चार विकेट लिए। वहीं वनडे में उन्होंने पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 1986 में ही खेला था। वनडे में उनका प्रदर्शन और दयनीय रहा और उन्होंने चार मैचों में केवल एक विकेट लिया। यानी अरुण अपने छह मैचों के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में कुल पांच विकेट ले सके। अगर अरुण की तुलना जहीर से करें तो ये सूरज को दिया दिखाने जैसा होगा। क्रिकेट के सभी प्रारूपों की बात करें तो साल 2000 में टेस्ट और वनडे दोनों में डेब्यू करने वाले जहीर खान भारत के चौथे सबसे सफल गेंदबाज हैं। डेढ़ दशकों तक भारत के स्ट्राइक गेंदबाज रहे जहीर खान ने 309 मैचों में कुल 610 विकेट लिए हैं। भारतीय गेंदबाजों में अपने क्रिकेट करियर में जहीर से ज्यादा विकेट अनिल कुंबले (956), हरभजन सिंह (711) और कपिल देव (687) ने लिए हैं।
