रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठे पहलवानों को तदर्थ समिति से बड़ी राहत मिली। इन सभी पहलवानों ने खेल मंत्रालय से आग्रह किया था कि एशियन गेम्स के ट्रायल्स के लिए उन्हें अतिरिक्त समय दिया जाए क्योंकि वह पूरी तैयार नहीं है। छह पहलवानों विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, संगीता फोगाट, सत्यव्रत कादियान और जितेंद्र किन्हा को ना सिर्फ शुरुआती ट्रायल में हिस्सा लेने से छूट मिली है बल्कि उन्हें वादा किया गया है कि वे पांच से 15 अगस्त के बीच ट्रायल के विजेताओं से भिड़ेंगे।
खुश नहीं है अन्य पहलवानों के परिजन
हालांकि तदर्थ समिति के इस फैसले पर सवाल उठने लगे हैं। कई पहलवानों के परिजन को यह फैसला पक्षपाती लग रहा है। उन्हें लगता है कि धरने का असर नहीं हुआ है। एक पहलवान के पिता ने कहा, ‘‘ऐसा दिखाया जा रहा था कि विरोध भारतीय कुश्ती में बदलाव लाने के लिए था लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि कैसे। पूर्व की चीजें दोहराई जा रही हैं। कुछ पहलवानों को फायदा मिल रहा है। पहले यह डब्ल्यूएफआई था जो इन पहलवानों को छूट देकर इनका पक्ष ले रहा था और अब तदर्थ समिति।’’
पहलवानों ने जताई नाराजगी
उन्होंने कहा, ‘‘वैसे भी हम इस बारे में क्या कर सकते हैं? हम मुकाबले के लिए तैयार हैं लेकिन यह उचित नहीं है कि ये पहलवान सिर्फ एक मुकाबले में प्रतिस्पर्धा करें और हमारे बच्चों को पूरे ड्रॉ से गुजरना पड़े। ये लोग तो बस मलाई खाना चाहते हैं।’’ इस बीच पिछले डब्ल्यूएफआई ढांचे से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि यह कदम उनकी बात को साबित करता है कि शीर्ष पहलवान हर समय ट्रायल से बचना चाहते हैं।
अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘‘उन्हें हमेशा डब्ल्यूएफआई की निष्पक्ष नीतियों से समस्या थी। वे कभी भी ट्रायल के माध्यम से भारतीय टीम में नहीं आना चाहते थे। हमने उनकी अनुचित मांगों का सम्मान किया क्योंकि वे शीर्ष पहलवान हैं लेकिन वे अभी भी वही मांग कर रहे हैं। यह हमारी बात को सही साबित करता है कि वह डब्ल्यूएफआई से जुड़े मामलों पर नियंत्रण चाहते हैं।’