Brij bhushan Singh vs Wrestlers: रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरना कर रहे पहलवान अब खेल की ओर लौट चुके हैं। बृजभूषण सिंह के खिलाफ केस कोर्ट में है। उनका कार्यकाल खत्म हो चुका है ऐसे में रेसिलंग फेडरेशन ऑफ इंडिया को नए अध्यक्ष का इंतजार है ताकि फेडरेशन का काम सुचारू रूप से चल सके। हालांकि चुनाव लगातार टल रहा है और इसका फायदा सीधे-सीधे बृजभूषण सिंह को मिल रहा है जबकि भारतीय रेसलर परेशानी में हैं।

WFI के चुनाव टले

रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के चुनाव 11 जुलाई को होने थे। हालांकि गुवाहाटी हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। चुनाव न होने के कारण ट्रायल्स को लेकर स्थिति भी साफ नहीं हो पा रही है। चाहे आंदोलित पहलवान हो या फिर वह पहलवान जो इस आंदोलन का हिस्सा नहीं थे, हर कोई इस समय मुश्किल की स्थिति में है। आंदोलन करने वाले पहलवान विदेश में जाकर ट्रेनिंग करना चाहते हैं लेकिन इसे लेकर असमंजस की स्थिति में है। अगर वह विदेश जाते हैं तो बृजभूषण सिंह के खिलाफ उनकी लड़ाई कमजोर पड़ेगी और अगर वह विदेश नहीं जाते हैं तो एशियन गेम्स की उनकी तैयारियों पर असर पड़ सकता है।

बृजभूषण सिंह को मिलेगा फायदा

इससे बृजभूषण सिंह को बड़ा फायदा है। आंदोलन करने वाले खिलाड़ी बाहर जाते हैं तो उनपर दबाव कम होगा। बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ही आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे। वहीं अगर यह खिलाड़ी विदेश नहीं जाते हैं तो उनके खेल पर असर होगा। मेडल न ला पाने की स्थिति में इन खिलाड़ियों की प्रतिभा पर सवाल उठेंगे।

खिलाड़ी मुश्किल में

सिर्फ आंदोलन करने वाले पहलवान ही नहीं बल्कि सभी पहलवान मुश्किल में हैं। वर्ल्ड चैंपियनशिप और एशियन गेम्स के लिए एक साथ ट्रायल्स होने हैं। यह ट्रायल्स कब होंगे, कैसे होंगे और कहां होंगे इसे लेकर कुछ भी साफ नहीं है। ऐसे में पहलवानों को यह समझ नहीं आ रहा है कि वह किस तरह से तैयारी करें। कुल मिलाकर चुनावों का टलना बृजभूषण सिंह के लिए फायदेमंद हैं वहीं बाकी खिलाड़ियों के लिए परेशानी का सबब।