वर्ल्ड रेसलिंग की सर्वोच्च संचालन संस्था यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने समय पर चुनाव नहीं कराने के कारण भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को निलंबित कर दिया है। महासंघ के निलंबन का सीधा असर भारतीय पहलवानों पर होगा जो कि फिलहाल वर्ल्ड चैंपियनशिप और एशियन गेम्स की तैयारी में जुटे हैं।

वर्ल्ड चैंपियनशिप में होगा नुकसान

भारतीय पहलवानों को 16 सितंबर से शुरू होने वाली विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में हिस्सा लेना है और फिर महज एक हफ्ते के अंदर ही एशियन गेम्स खेलने उतरेंगे। निलंबन के कारण भारतीय पहलवान आगामी विश्व चैंपियनशिप में भारतीय ध्वज तले नहीं खेल पाएंगे। खिलाड़ी भारत का नहीं बल्कि यूडब्ल्यूडब्ल्यू का प्रतिनिधित्व करेंगे। आसान भाषा में समझाएं तो भारतीय खिलाड़ी अगर वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल भी जीत जाते हैं तो न तो वहां तिरंगा नजर आएगा और न ही राष्ट्रगान बजेगा।

देश को नहीं मिलेगा कोटा

अम्मान में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारतीय पहलवानों की जीत से टीम को अंक मिले थे जिसके कारण देश यह चैंपियनशिप जीतने में कामयाब रहा था लेकिन सीनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में ऐसा नहीं होगा। भारतीय खिलाड़ी न्यूट्रल एथलीट के तौर खेलेंगे ऐसे में उनके जीते हुए अंक भारत के खाते में गिने नहीं जाएंगे। वर्ल्ड चैंपियनशिप में पहलवानों के पास पेरिस ओलंपिक का कोटा हासिल करने का मौका होगा। हालांकि भारतीय खिलाड़ियों के लिए अब स्थिति थोड़ी मुश्किल हो गई है। अब वह जो भी कोटा जीतेंगे उसे एनओसी कोटा माना जाएगा।

एशियन गेम्स में तिरंगे तले खेलेंगे खिलाड़ी

हालांकि भारत के लिए अच्छी खबर यह है कि पहलवान एशियन गेम्स में अपने देश का प्रतिनिधित्व कर सकेंगे। एशियन गेम्स के लिए टीम भेजने का काम इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन का होता है। यहां रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की भूमिका नहीं होती है। इसी कारण एशियन गेम्स में खिलाड़ी तिरंगे तले खेलेंगे और उनके मेडल को भारत के खाते में गिना जाएगा। वहीं वर्ल्ड चैंपियनशिप में खिलाड़ियों को भेजने की जिम्मेदारी रेसलिंग फेडरेशन पर होती है।