प्रदर्शनकारी पहलवानों पर बरसते हुए भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा ने गुरुवार को कहा कि सड़कों पर प्रदर्शन अनुशासनहीनता है और इससे देश की छवि खराब हो रही है। स्टार पहलवान विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक सहित कई पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न और पहलवानों को धमकाने के आरोपों के साथ जंतर मंतर पर धरने पर बैठे हैं। बजरंग ने पीटी उषा की टिप्पणी पर निराशा जताई है।

उषा ने आईओए की कार्यकारी समिति की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा,‘‘ पहलवानों का सड़क पर प्रदर्शन करना अनुशासनहीनता है। इससे भारत की छवि खराब हो रही है।’’ आईओए ने कुश्ती महासंघ के कामकाज के संचालन के लिये चुनाव होने तक एक तदर्थ समिति का गठन किया है, जिसमें पूर्व निशानेबाज सुमा शिरूर, भारतीय वुशू संघ के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह बाजवा और उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत न्यायाधीश हैं जिनका नाम अभी तय नहीं हुआ है।

बजरंग ने पीटी उषा की टिप्पणी पर निराशा जताई

बजरंग ने पीटी उषा की टिप्पणी पर निराशा जताते हुए कहा कि पहलवानों को उनसे ऐसे कड़े जवाब की अपेक्षा नहीं थी। उन्हें उम्मीद थी कि वह उनका साथ देंगी। उन्होंने कहा, “वह खुद एक महिला हैं, इसलिए हमें उम्मीद थी कि वह हमारे साथ खड़ी रहेंगी। मैं उनकी बातों से आहत हूं। हाल ही में, वह ट्वीट कर रही थीं कि कुछ लोग उनकी अकादमी (बालुसेरी, केरल में उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स) की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे थे और वहां गुंडागर्दी कर रहे थे। उस समय देश की छवि खराब नहीं हो रही थी? वह भी एक अंतरराष्ट्रीय एथलीट से जुड़ा मामला था। अकादमी की घटना के बारे में सुनकर हमें भी दुख हुआ। वह इतनी बड़ी एथलीट हैं और अब राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन तब भी उनके साथ ऐसा हो रहा था। अगर एक सांसद के साथ ऐसा हो सकता है तो हम साधारण खिलाड़ी हैं। हमारे पास कोई पावर नहीं है? हमारे साथ कुछ भी हो सकता है, उन्हें यह सोचना चाहिए।”

पैनल के रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया

आईओए ने अभी तक आरोपों की जांच पूरी नहीं की है जबकि सरकार की ओर से गठित निरीक्षण पैनल के रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। तीन महीने के लंबे इंतजार से निराश पहलवान 23 अप्रैल को अपना आंदोलन फिर से शुरू करने के लिए जंतर-मंतर लौट आए। डब्ल्यूएफआई प्रमुख की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी गए। साफ है कि आईओए को पहलवानों का यह कदम पसंद नहीं आया है।

थोड़ा तो अनुशासन होना चाहिए

उषा से पूछा गया कि क्या आईओए पहलवानों से संपर्क करेगा क्योंकि वे इस बात पर अड़े हैं कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वे प्रदर्शन स्थल नहीं छोड़ेंगे, उन्होंने कहा,‘‘ थोड़ा तो अनुशासन होना चाहिए। हमारे पास आने के बजाय वे सीधे सड़कों पर उतर गए यह खेल के लिए अच्छा नहीं है।’’

आंदोलन देश की छवि के लिए अच्छा नहीं

आईओए के संयुक्त सचिव कल्याण चौबे ने कहा,‘‘ आईओए अध्यक्ष पीटी उषा यह कहना चाहती हैं कि इस तरह का आंदोलन देश की छवि के लिए अच्छा नहीं है। विश्व स्तर पर भारत की अच्छी साख है। यह नकारात्मक प्रचार देश के लिए अच्छा नहीं है। हम केवल पहलवानों ही नहीं बल्कि उन सभी खिलाड़ियों के साथ रहना चाहते हैं जो भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन हम देश के नियम और कानून के तहत ऐसा करना चाहते हैं।’’

आरोप गंभीर हैं और हम जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं ले सकते

चौबे ने कहा,‘‘आरोप गंभीर हैं और हम जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं ले सकते। यदि हम थोड़ा संयम बरत सकते हैं और समिति की जांच का इंतजार कर सकते हैं तब हम प्रतिक्रिया कर पाएंगे। अभी हमने केवल कुश्ती महासंघ के दैनिक कामकाज को लेकर ही चर्चा की।’’ आईओए के संयुक्त सचिव ने इसके साथ ही पुष्टि की कि अभी कई गवाहों को जांच समिति के सामने उपस्थित होना है। उन्होंने कहा,‘‘ जांच अभी चल रही है। हमें बताया गया है कि समिति के पास गवाहों की एक सूची है और समिति उन्हें आमंत्रित करेगी और वे आयोग के समक्ष उपस्थित होंगे।’’

महासंघ के कामकाज के संचालन के लिये समिति का गठन

आईओए ने कुश्ती महासंघ के कामकाज के संचालन के लिये चुनाव होने तक एक तदर्थ समिति का गठन किया है जिसमें पूर्व निशानेबाज सुमा शिरूर, भारतीय वुशू संघ के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह बाजवा और उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत न्यायाधीश हैं, जिनका नाम अभी तय नहीं हुआ है। चौबे ने कहा,‘‘ भूपेंद्र सिंह बाजवा तदर्थ पैनल में आईओए कार्यकारी परिषद का प्रतिनिधित्व करेंगे जबकि सुमा शिरूर महिला खिलाड़ी हैं। वे कुश्ती महासंघ का दैनिक कामकाज देखेंगे। हमने न्यायाधीशों के नाम पर भी चर्चा की और उच्च न्यायालय का कोई सेवानिवृत्त न्यायाधीश इस समिति में शामिल होगा।’’