भारतीय तीरंदाज प्रगति ने गुरुवार को चीन में आयोजित वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में देश के लिए दो मेडल जीते। उन्होंने मिक्स्ड टीम इवेंट में गोल्ड और महिला टीम इवेंट में सिल्वर मेडल जीता। मिक्स्ड टीम इवेंट के फाइनल में उन्होंने अमन के साथ मिलकर कोरियाई जोड़ी को हराया। तीन साल पहले जो प्रगति अस्पताल के बिस्तर पर लेटी हुई थी, जिसे उठने के लिए भी सहारा चाहिए होता था, जिसे कुछ याद नहीं रहता था आज वह पोडियम पर है और यह उनके लिए उनका परिकथा जैसा कमबैक है।

प्रगति को हुआ था ब्रेन हैमरेज

साल 2020 में प्रगति महज 17 साल की थी। वह आर्चरी में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में थी। तभी एक ब्रेन हैमरेज के अटैक ने उनकी जिंदगी को अनचाहा मोड़ दे दिया। अटैक से पहले प्रगति को तेज सिर दर्द हुआ और वह बेहोश हो गईं। परिवार वाले उन्हें डॉक्टर के पास ले गए। जिसके बाद पता चला कि प्रगित को ब्रेन हैमरेज हुआ है। सर्जरी के बाद रिकवरी का रास्ता भी उनके लिए आसान नहीं था।

बिस्तर से उठ भी नहीं पाती थी प्रगति

सर्जरी का असर प्रगति की याददाश्त पर पड़ा। उन्होंने सुबह क्या खाया है यह बात वह दोपहर तक भूल जाती थीं। उन्हें बिस्तर से उठने के लिए भी सहारे की जरूरत होती थी। प्रगति फिर से तीरंदाजी करना चाहती थी और इसी इच्छा शक्ति ने उन्हें वापसी का रास्ता दिखाया। उन्होंने धीरे-धीरे खुद से उठना शुरू किया और एक समय पर बाद वह चलने लगी। प्रगति ने फिर से आर्चरी की ओर रुख किया और परिवार ने पूरा सहयोग किया।

प्रगति ने मां और बहन को दिया श्रेय

कुछ महीने तक उनके लिए तीर और कमान को पकड़ना भी मुश्किल था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। लॉकडाउन के बाद उन्होंने देहरादून के जूनियर नेशनल्स में हिस्सा लिया। किसी को उम्मीद नहीं थी कि प्रगति यहां कुछ कर पाएंगी। हालांकि उन्होंने मेडल जीता और खुद को साबित किया। प्रगति अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां और बहन को देती हैं जिन्होंने इस मुश्किल सफर में हमेशा उनका हौसला बढ़ाया।