World cup flashback: क्रिकेट के मैदान पर कई बार कुछ ऐसी घटना घाट जाती है जो इस जैंटलमैन्स गेम को बदनाम कर देती हैं। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि जब कोई खिलाड़ी अपनी शानदार खेल भावना के लिए याद किया जाता है। इअसा ही कुछ 1987 विश्वकप के दौरान हुआ था। इस विश्वकप का तीसरा मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चेन्नई के चेपुक स्टेडियम में खेला जा रहा था। जब भी इस मैच को याद किया जाता है तत्कालीन भारतीय कप्तान कपिल देव की खेल भावना सभी को याद आ जाती है।
इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए सलामी बल्लेबाज ज्यॉफ़ मार्श के शानदार शतक की मदद से निर्धारित 20 ओवर में 6 विकेट खोकर 268 रन बनाए। ऑस्ट्रेलियाई पारी के दौरान दिग्गज बल्लेबाज डीन जोन्स ने मोहिंदर अमरनाथ की गेंद पर एक शॉट मारा जो सीधा सीमा रेखा पर खड़े रवि शास्त्री के पास गया। शास्त्री कैच नहीं ली पाए और गेंद सीमा रेखा के बाहर चली गई। अंपायर ने इसे चार रन करार दिया।
लेकिन पारी खत्म होने के बाद ऑस्ट्रेलिया के कप्तान एलन बॉर्डर ने अंपायर के पास जाकर ऑब्जेक्शन लेते हुए कहा कि वह सिक्स था। अंपायर ने भारतीय कप्तान कपिल देव को इस बारे में बताया। कपिल ने बिना टाइम गवाए इसकी जांच किए बिना ऑस्ट्रेलिया को दो रन दे दिए। जिसके चलते उनका स्कोर 270 हो गया। कपिल चाहते तो ऐसा नहीं करते क्योंकि पारी समाप्त हो चुकी थी। लेकिन खेल भावना को देखते हुए उन्होंने ये निर्णय लिया और इस मैच का नतीजा ये हुआ कि भारत ये मैच एक रन से हार गया।
आखिरी में भारतीय फैंस को कपिल द्वारा दिए गए 2 रन बहुत अखरे लेकिन अपने कप्तान की इस हरकत से सभी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। कपिल ने उस मैच में सबको दिखा दिया कि क्रिकेट को जैंटलमैन्स गेम क्यों कहा जाता है। बता दें इस मैच से पूर्व भारतीय बल्लेबाज नवजोत सिंह सिद्धू में वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया था। वहीं ऑस्ट्रेलिया के लिए दिग्गज खब्बू तेज गेंदबाज टॉम मूडी ने डेब्यू किया था।