वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने वाली भारतीय शटलर पीवी सिंधु की नजर अब अगले साल टोक्यो में होने वाले ओलंपिक में गोल्ड जीतने पर है। सिंधु वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय हैं। वे ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली भी पहली भारतीय महिला हैं। हालांकि, अब वे अपने पदक का रंग बदलने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

स्विट्जरलैंड से स्वदेश लौटीं सिंधु का नई दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाईअड्डे पर प्रशंसकों ने जोरदार स्वागत किया। उन्होंने इस दौरान पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत में कहा, ‘मैं सभी का धन्यवाद देना चाहती हूं। मेरे लिए दुआएं करने वाले सभी प्रशंसकों का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं। मैं ज्यादा पदक जीतने के लिए और कड़ी मेहनत करूंगी। मेरा असली लक्ष्य टोक्यो ओलंपिक 2020 में अपने देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना है।’

सिंधु ने कहा, ‘काफी लंबे समय बाद यह जीत मिली है। दो साल से मैं चूक रही थी, लेकिन अंततः मैंने इसे हासिल कर लिया। यह मेरे लिए बहुत बड़ा क्षण है। मुझे वास्तव में एक भारतीय होने पर गर्व है।’ सिंधु ने इस ऐतिहासिक सफलता के लिए अफने कोच का भी धन्यवाद दिया।

हैदराबाद की रहने वाली 24 साल की सिंधु ने पिछले रविवार वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में महिला एकल के फाइनल में जापान की नोजोमी ओकुहारा को 21-7, 21-7 से हराया था। वे लगातार तीसरे साल इस चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंची थीं। उन्हें 2017 के फाइनल में ओकुहारा और 2018 के फाइनल में स्पेन की कैरोलिना मारिन के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी थी।

इससे पहले सिंधु ने वर्ल्ड बैडमिंटन फेडरेशन (बीडब्ल्यूएफ) की ऑफिशियल वेबसाइट से बात करते हुए कहा था, ‘वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में मिली पहली हार के बाद मुझे काफी बुरा लगा था। पिछले साल तो खुद पर काफी गुस्सा भी आया था। मैं दुखी थी। मैं खुद से पूछ रही थी, कि मैं ये मैच क्यों नहीं जीत पाई? लेकिन आज मैंने खुद से कह दिया था कि तुम बिना चिंता के सिर्फ अपना खेल खेलोगी और ये काम कर गया।’

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सिंधु के मुताबिक, ‘वर्ल्ड चैंपियनशिप के पिछले दो फाइनल गंवाने के बाद मुझ पर कुछ लोग सवाल उठा रहे थे। उनकी वजह से मुझे काफी दुख पहुंचा था और गुस्सा भी आया था। अब मैंने स्वर्ण पदक जीतकर उन सवाल उठाने वाले लोगों को जवाब दे दिया है। मैं सिर्फ अपने रैकेट और जीत से उनको जवाब देना चाहती थी।’