Mankading Rule In Hindi: इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत को अभी चार दिन भी नहीं हुए थे कि विवाद खड़ा हो गया। राजस्थान रॉयल्स और किंग्स इलेवन पंजाब के बीच जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में खेले गए मैच में रविचंद्रन अश्विन ने विरोधी टीम के बल्लेबाज जॉस बटलर को ‘मांकडिंग’ से आउट कर दिया। यह रन-आउट का एक तरीका है जिसे क्रिकेट की दुनिया में खेल-भावना के विपरीत देखा जाता है। पूर्व भारतीय गेंदबाज वीनू मांकड़ के नाम पर इस तरीके को ‘मांकडिंग’ नाम दिया गया। अगर गेंदबाज के गेंद फेंकने से पहले नॉन-स्ट्राइकर बल्लेबाज क्रीज छोड़ता है तो गेंदबाज उसे रन-आउट कर सकता है।
Mankading: What The Law Says
मेलबर्न क्रिकेट क्लब द्वारा बनाए गए क्रिकेट के नियमों के अनुसार, “नॉन स्ट्राइकर के पहले की क्रीज छोड़ने के दौरान: जिस समय गेंद खेल का हिस्सा बनती है यानी जब गेंदबाज सामान्य रूप से गेंद रिलीज करने वाला होता है, उस वक्त अगर नॉन स्ट्राइक क्रीज से बाहर है तो गेंदबाज उसे रन-आउट कर सकता है। यह कोशिश सफल हो या नहीं, वह गेंद ओवर का हिस्सा नहीं मानी जाएगी।” नियम यह भी है कि अगर गेंदबाज नॉन-स्ट्राइकर को रन-आउट करने की कोशिश में असफल रहता है तो अंपायर को जल्द से जल्द ‘डेड बॉल’ होने की घोषणा और इशारा कर देना चाहिए।

‘मांकडिंग’ शब्द का उपयोग ऑस्ट्रेलियन मीडिया ने 1947 में किया था। उस समय भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई थी। वहां पर वीनू मांकड़ ने ऑस्ट्रेलिया के बिल ब्राउन को एक नहीं, बल्कि दो-दो बार क्रीज से बाहर होने पर रन-आउट किया था। तब के ऑस्ट्रेलियाई कप्तान डॉन ब्रैडमैन ने मांकड़ के तरीके को सही ठहराया था मगर ऑस्ट्रेलियन मीडिया में मांकड़ की ‘खेल भावना के खिलाफ जाने’ पर खूब आलोचना करी गई।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब रविचंद्रन अश्विन ने नॉन-स्ट्राइकर बल्लेबाज को रन-आउट करने के लिए ‘मांकडिंग’ का सहारा लिया हो। इससे पहले 2012 में ऑस्ट्रेलिया में खेली गई कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज के दौरान अश्विन ने श्रीलंका के लाहिरु थिरिमाने को भी इसी तरह रन-आउट किया था। तब उन्होंने पहले थिरिमाने को चेतावनी भी दी थी। हालांकि कप्तानी कर रहे वीरेंद्र सहवाग ने अपील वापस ले ली और अंपायर ने ‘डेड बॉल’ करार दिया।