यूरो कप के फाइनल में इटली के हाथों मिली हार के बाद इंग्लैंड के समर्थकों ने बहुत ही शर्मनाक हरकत की है। उनकी इस हरकत ने इंग्लैंड की टीम की छवि को नुकसान पहुंचाने का काम किया है। दरअसल, यूरोपीय फुटबॉल चैंपियनशिप के फाइनल में इटली के खिलाफ पेनल्टी शूटआउट में चूकने वाले इंग्लैंड के तीनों अश्वेत खिलाड़ियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर नस्लीय टिप्पणियां की गईं।
यही नहीं, लंदन के वेम्बले स्टेडियम पर मैच खत्म होने के बाद इंग्लैंड के फैंस की जमकर गुंडागर्दी दिखी। उनकी गुंडागर्दी को बयां करने वाला एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। वीडियो में दिख रहा है कि इंग्लैंड के समर्थक स्टेडियम से बाहर निकल रहे इटली के समर्थकों की लात-घूंसों से पिटाई कर रहे हैं। वे उन्हें जानवरों की तरह पीटते नजर आ रहे हैं। वीडियो में इंग्लैंड के समर्थकों की बहुत ज्यादा संख्या होने के कारण इटली के फैंस में अपनी जान बचाकर भागते दिख रहे हैं। वायरल वीडियो न सिर्फ शर्मनाक, बल्कि इंग्लैंड की छवि को दुनिया भर में खराब करने वाला भी है।
इंग्लैंड के अश्वेत खिलाड़ियों पर नस्लीय टिप्पणियां होने के बाद इंग्लैंड फुटबॉल संघ (एफए) ने खिलाड़ियों के लिए इस्तेमाल की गई भाषा की निंदा की है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने भी इसकी निंदा की। जॉनसन ने ट्वीट किया, ‘इस तरह के घटिया दुर्व्यवहार के लिए जिम्मेदार लोगों को खुद पर शर्म आनी चाहिए।’ इंग्लैंड क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान केविन पीटरसन (Kevin Pietersen) ने भी ऐसी हरकत की निंदा की। साथ ही सवाल उठाया कि क्या ऐसी स्थिति में उनके देश को 2030 फीफा विश्व कप की मेजबानी का अधिकार मिलना चाहिए।
पीटरसन यूरो कप फाइनल के बाद फैली अराजकता में फंस गए थे। पीटरसन से ट्वीट किया, ‘कल रात मैं डायलन के साथ अपनी कार से घर आ रहा था तो स्थिति पूरी तरह से भयानक थी। 2021 में ऐसा व्यवहार ?? हमें इतनी खुशी देने वाले खिलाडि़यों के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल ?? क्या हम वास्तव में 2030 विश्व कप (मेजबानी) के लायक हैं?’
इंग्लैंड क्रिकेट टीम के ही एक और पूर्व कप्तान माइकल वॉन (Michael Vaughan) भी फुटबॉल फैंस की ऐसी हरकतों से बहुत नाराज दिखे। उन्होंने नस्लीय टिप्पणी करने वाले सोशल मीडिया यूजर्स को बेनकाब करने की मांग की। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘सोशल मीडिया कंपनियों को उन सभी अकाउंट्स (सोशल मीडिया यूजर्स) का पर्दाफाश करने की जरूरत है जो हमारे इंग्लैंड के खिलाड़ियों को गाली दे रहे हैं..।’
उन्होंने कहा, ‘बदमाशी करने वाले कायरों को बेनकाब करें। पता चलना चाहिए कि कैसे वे सुर्खियों में रहना पसंद करते हैं..। राष्ट्रीय समाचार पत्रों को ऐसे लोगों की तस्वीरें अपने मृख पृष्ठ पर प्रकाशित करनी चाहिए।’
The English team has won hearts but their fans (or a section of them) have been an absolute disgrace. Online racist abuse of their players who missed penalties, booing the opponents national anthem and downright hooliganism against Italian fans .. shameful. pic.twitter.com/o768lQNfKu
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) July 12, 2021
बता दें कि रविवार देर रात हुए फाइनल में नियमित और अतिरिक्त समय में मुकाबला 1-1 से बराबर रहने के बाद इटली ने पेनल्टी शूटआउट में इंग्लैंड को 3-2 से हराया। इंग्लैंड के मार्कस रशफोर्ड की पेनल्टी गोल पोस्ट से टकरा गई थी, जबकि बुकायो साका और जेडन सांचो की पेनल्टी को इटली के गोलकीपर ने रोक दिया था।
इंग्लैंड की टीम में सबसे युवा खिलाड़ियों में से एक 19 साल के बुकायो साका के पेनल्टी पर चूकने से इटली ने खिताब जीता। इंग्लैंड 1966 विश्व कप के बाद कोई बड़ा टूर्नामेंट जीतने में नाकाम रहा। यह लगातार तीसरा अवसर है जब इंग्लैंड को पेनल्टी शूटआउट में असफलता हाथ लगी है।
इंग्लैंड की टीम ने यूरोपीय चैंपियनशिप में मुकाबलों से पहले घुटने के बल बैठकर नस्लीय असमानता दूर करने के प्रति अपना समर्थन जाहिर किया था। टीम ने फाइनल में पेनल्टी शूटआउट में चूकने से पहले अपने समर्थकों का दिल भी जीता, लेकिन खिताब नहीं जीतने के बाद घृणा खुलकर सामने आ गई।
एफए ने बयान में कहा, ‘हम प्रभावित खिलाड़ियों का पुरजोर समर्थन करते रहेंगे और नस्लभेदी टिप्पणियां करने के लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा देने की अपील करेंगे।’ लंदन की मेट्रोपोलिटन पुलिस ने भी कहा कि वह सोशल मीडिया पर ‘अपमानजनक और नस्लीय’ टिप्पणियों की जांच कर रही है।