वीरेंद्र सहवाग टेस्ट मैचों में 2 बार तिहरा शतक लगाने भारत के इकलौते बल्लेबाज हैं। उनकी पहचान हमेशा ताबड़तोड़ बल्लेबाज के रूप में की जाती है। हालांकि, नजफगढ़ के इस सुल्तान ने बचपन में घरवालों से पिटाई का स्वाद भी खूब चखा है। यही नहीं, एक बार बीड़ी पीनी के चक्कर में तो उनकी चप्पलों से पिटाई हुई थी। सहवाग ने 20 अक्टूबर 2015 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। आजकल वह कॉमेंट्री करते दिखाई देते हैं। वह सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते हैं। साथ ही बेबाक अंदाज के लिए भी चर्चा में बने रहते हैं।

वीरू के फंडे भी काफी मशहूर हैं। सहवाग ने अपनी पिटाई को लेकर एक इंटरव्यू में राज खोला था। सहवाग ने बताया, ‘हमारी संयुक्त परिवार था। परिवार में कई सारे चाचा-ताऊ के बच्चे थे। हम लोग सब आपस में क्रिकेट खेला करते थे। चूंकि हम मोहल्ले में लोगों के घरों के शीशे तोड़ दिया करते थे, इसलिए हमारे ताऊ गेंद छिपा दिया करते थे। फिर हम सारे लोग खेलने के लिए दो टीम बनाते थे। उस समय 22 रुपए की बॉल आती थी। दोनों टीमें 11-11 रुपए मिलाकर नई गेंद खरीद कर लाते थे। जो भी टीम मैच जीतती बॉल उसकी हो जाती थी।’ सहवाह ने बताया कि वह बचपन के दिनों में कंचे, लट्टू और गिल्ली डंडा जैसे खेल भी खेलते थे।

पिटाई के बारे में बताते हुए सहवाग ने कहा, ‘हमारे घर के पीछे एक हॉस्पिटल था। मैं और मेरे कजन हॉस्पिटल की दीवार पर जाकर बैठा करते थे। एक दिन मैंने अपने पिता की बीड़ी का बंडल चुरा लिया और अपने चार कजन के साथ उसी दीवार पर बैठकर बीड़ी पीने लगे। हालांकि, हम यह भूल गए कि उसके पीछे घर की खिड़की भी है, जहां से धुंआ अंदर जाता है। थोड़ी देर बाद घरवालों को कमरे में धुआं दिखा तो वे छत पर पहुंचे और वहां से हमें दीवार पर बैठकर बीड़ी पीती हुए देख लिया। हम पांचों भाई लाइन में एक साथ बीड़ी के कश लगा रहे थे। फिर क्या था, हमारी चप्पलों और डंडों से खूब पिटाई हुई थी।’

सहवाग बचपन में स्कूल जाने को लेकर भी काफी नाटक करते थे। वह स्कूल जाने में काफी आना-कानी करते थे। वह बचपन में अपनी मां को बहुत परेशान करते थे। इसका खुलासा उनकी मां ने किया। मां ने बताया, ‘हां स्कूल जाने में यह बहुत पंगे करता था। मैं इसके लिए पानी गर्म करके रखती थी। ये उसे गिरा देता था। इसके बाद दोबारा गर्म करने पर टाइम ज्यादा और घंटी बजने का बहाना लगाकर ये छुट्टी कर लेता था।’