संदीप द्विवेदी/निहाल कोशी। पेरिस ओलंपिक में पदक से चूकने के बाद विनेश फोगाट ने कुश्ती से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया। भारत लौटने पर उन्होंने संकेत दिये थे कि वह कुश्ती में वापसी कर सकती हैं, लेकिन कुछ ही दिन बाद खबर आई कि उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। अब वह हरियाणा विधानसभा चुनाव में जुलाना सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार हैं।
कुश्ती से संन्यास लेने के बाद विनेश को फैसला बदलने, एनजीओ खोलने, करोड़ों रुपये की स्पॉन्सरशिप मिलने के ऑफर आये थे, लेकिन उन्होंने राजनेता बनने की ही क्यों सोची, द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में पूर्व पहलवान ने इसका खुलासा किया।
सवाल: ओलंपिक में मिली हार के बाद अब तक आपका राजनीतिक अनुभव कैसा रहा है?
विनेश फोगाट: मैंने राजनीति में नहीं आने का फैसला किया था। लेकिन जब मैं इस बड़ी लड़ाई (विरोध) से जूझ रही थी, तो मुझे अहसास हुआ कि चीजों को बदलने के लिए आपको राजनीति में होना चाहिए। लोगों ने मुझसे कहा कि लोगों की मेरी प्रति सद्भावना खत्म हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मैं एक बेटी और एक बहू के लिए भावनाएं देखती हूं… प्यार और सम्मान बढ़ा है, खासकर महिलाओं से। वे मुझे गले लगा रही हैं और आशीर्वाद दे रही हैं। राजनीति में आना एक बड़ा फैसला था, यह भगवान की इच्छा थी। मैं अपनी नियति का अनुसरण कर रही हूं।
सवाल: ओलंपिक पदक से चूक जाना या बृज भूषण सिंह जैसे शक्तिशाली राजनेता और अधिकारी के खिलाफ आपका विरोध… लोगों के दिलों में क्या गूंजा है?
विनेश फोगाट: मुझे लगता है कि विरोध प्रदर्शन। लोगों को लगता है कि हमने जो किया वह उनकी बेटियों और उनके परिवारों के लिए था। ओलंपिक में उपलब्धि एक व्यक्तिगत चीज है, जब हम दूसरों के लिए कुछ करते हैं, तो लोग प्यार लुटाते हैं। मुझे इतने प्यार और समर्थन की उम्मीद नहीं थी। जब हम विरोध कर रहे थे, तो लोग आ रहे थे और जा रहे थे। लेकिन यह किसानों के आंदोलन की तरह एक जन आंदोलन नहीं बन पाया, जहां एक बड़े समूह ने दो साल तक विरोध किया। हमने महसूस किया कि हमारी लड़ाई हर किसी की लड़ाई नहीं है। लोगों की अपनी मजबूरियां होती हैं, उन्हें नौकरी और निजी मामले निपटाने होते हैं।
सवाल: अगर आप राजनेता बन जाती हैं तो आपके लिए मुख्य एजेंडा क्या है… महिला सुरक्षा और खेल बुनियादी ढांचा?
विनेश फोगाट: अभी सुविधाओं के मुद्दे को एक तरफ रख देते हैं। खेल संघों में क्या हो रहा है…मुद्दे हैं। अगर मेरे, बजरंग (पूनिया) या साक्षी (मलिक) के पास ताकत होगी। अगर कुछ गलत हो रहा है, तो युवा एथलीट हमें जरूर बुलाएंगे। हम ऐसी स्थिति में होंगे कि हम मदद के लिए कुछ कर पाएंगे। यह एक प्लस पॉइंट होगा। लोग मुझे एनजीओ (गैर राजनीतिक संगठन) खोलने के लिए कह रहे थे। मुझे करोड़ों के ऑफर (स्पॉन्सरशिप) मिल रहे थे। पैसे से आप अपने परिवार का ख्याल रख सकते हैं। लेकिन आप दूसरों की उस स्तर तक मदद नहीं कर सकते, जैसा आप चाहते हैं। मैं पैसे लेकर घर पर नहीं बैठना चाहती। बाकी लड़कियों का क्या होगा? जो पहलवान विरोध का हिस्सा थे, फेडरेशन उन्हें एक या दो अड़ंगे लगाकर प्रतिस्पर्धा करने की मंजूरी नहीं देतो। मैं इसका समाधान कैसे करूं? यह पैसे से नहीं हो सकता। हमें ताकत चाहिए। आपको सिस्टम में घुसना होगा। बृजभूषण इसलिए टिके हुए हैं, क्योंकि वह राजनीतिक रूप से शक्तिशाली हैं। इसलिए हमें शक्तिशाली भी होना चाहिए। अगर हमारे पास शक्ति नहीं है, तो दो साल का संघर्ष पानी में बह जाएगा।
सवाल: राजनीति भी आपके लिए एक बड़ा मोड़ है। एक पूर्णकालिक नौकरी।
विनेश फोगाट: हां, है। राजनीति में कोई आराम नहीं है। लेकिन हम लगभग दो साल पहले जिस स्थिति में थे (विरोध प्रदर्शन), हमें यह करना पड़ा। उस गंदगी में हमारे पैर टिक चुके थे दो साल पहले। या तो आप डूब सकते हैं या तैर सकते हैं। अगर आप तैरते हैं, तो आप कई लोगों को बचा सकते हैं। हमारी जिम्मेदारी है और जब तक आप सत्ता में नहीं हैं, कुछ नहीं किया जा सकता। आप ओलंपिक में सौ पदक जीत सकते हैं, लेकिन राजनीतिक सत्ता के सामने यह कुछ भी नहीं है। शून्य। रात में नोटबंदी की घोषणा की गई और पूरा देश बंद हो गया। सत्ता यही कर सकती है। हमारे पास पीछे हटने का विकल्प नहीं है।
सवाल: जब आप सड़क पर विरोध प्रदर्शन कर रही थीं तब दूसरे पहलवान ओलंपिक की तैयारी कर रहे थे। इसके बावजूद आपने जापानी पहलवान यूई सुसाकी को हराया और फाइनल में पहुंची।
विनेश फोगाट: मुझे नहीं पता… यह ईश्वरीय शक्ति है। अगर मैं अपने दिल में ठान लूं कि मुझे कुछ करना है, तो मुझे उसे हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता। मैं ऐसी ही हूं, विनेश सिर्फ एक है। जब मैं विरोध प्रदर्शन में थी, तब भी एक पल के लिए भी मुझे नहीं लगा कि मैंने कुश्ती छोड़ दी है, यहां तक कि चोट लगने पर भी नहीं। मैं ओलंपिक जाने के लिए दृढ़ थी।
सवाल: आप ओलंपिक में एक भी मुकाबला नहीं हारीं? क्या आप इसे सकारात्मक रूप से देखती हैं?
विनेश फोगाट: नहीं। यह बहुत कठिन स्थिति थी। 2021 में टोक्यो ओलंपिक में, मैं हार गई थी, लेकिन तीन-चार महीने बाद, मैं उस झटके से उबर गई। रियो ओलंपिक में, जहां एक मुकाबले के दौरान मेरे घुटने में चोट लग गई थी, मुझे नहीं पता था कि मैं अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच पाई या नहीं। यहां भी यही हुआ, मुझे नहीं पता कि मैं स्वर्ण जीत सकती थी या नहीं। मैं इसे हार के रूप में स्वीकार नहीं कर सकती, न ही मैं इसे जीत के रूप में स्वीकार कर सकती हूं।