ओलंपिक से बगैर पदक के लौटे किसी एथलीट का शायद ही ऐसा स्वागत हुआ हो जैसा शनिवार (17 अगस्त) को विनेश फोगाट का हुआ। विनेश फोगाट की पेरिस से भारत आने में देरी हुई। वह कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) में अपनी अपील के नतीजे का इंतजार करने के लिए रुकी रहीं। उन्होंने ओलंपिक में 50 किलोग्राम के स्वर्ण पदक मुकाबले से 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण अयोग्य ठहराए जाने को चुनौती दी थी। उनकी अपील को बुधवार को खारिज कर दी गई।
विनेश फोगाट शनिवार रात को हरियाणा में अपने गांव बेलाली की चरखी दादरी पहुंचीं। यहां उनका भव्य स्वागत हुआ। उनके ताऊ महावीर फोगाट ने उन्हें गले लगा लिया। दोनों काफी भावुक दिखाई दे रहे थे। इस दौरान विनेश ने कहा कि ओलंपिक में मेडल न मिलने से उन्हें गहरी चोट लगी है। इसका घाव भरने में समय लगेगा। इसके अलावा उन्होंने कहा कि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के खिलाफ उनकी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। यह लड़ाई लंबी चलेगी।
विनेश फोगाट ने डब्ल्यूएफआई
विनेश फोगाट ने कहा, “यह ओलंपिक पदक एक गहरा घाव बन गया है। इसे भरने में समय लगेगा, लेकिन मैं अपने देश के लोगों को धन्यवाद देना चाहती हूं। मैं अभी कुछ नहीं कह सकती कि मैंने (कुश्ती) छोड़ दी है या जारी रखूंगी। हमारी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। मैं अभी इसका (लड़ाई का) एक हिस्सा पार करके आई हूं। यह एक लंबी लड़ाई है। हम पिछले एक साल से इसे लड़ रहे हैं और यह जारी रहेगी।”
इस गांव की हमेशा आप लोगों की हमेशा कर्जदार रहूंगी
विनेश फोगाट का सभा संबोधित करते हुए एक्स पर एक वीडियो है, जिसमें वह कहती हैं वह गांव और वहां लोगों का हमेशा कर्जदार रहेंगी। वह चाहती हैं कि गांव की लड़कियां रेसलिंग में आगे आएं। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता मैं इतने प्यार और सम्मान की हकदार हूं भी या नहीं, लेकिन मैं बहुत भाग्यशाली मानती हूं कि मैंने ऐसे गांव में ऐसी जगह पर जन्म लिया है कि उसका मान सम्मान, उसका कर्ज अदा करने में अपनी भूमिका निभा पाई हूं। इस धरती की इस गांव की हमेशा आप लोगों की हमेशा कर्जदार रहूंगी। आपके मान सम्मान की लड़ाई के लिए हमेशा सबसे आगे मैं अपना कदम रखूंगी।”
हरेक घर से एक मेरी बहन निकले
विनेश ने कहा, “मैं दिल से चाहती हूं अपने गांव में हरेक घर से एक मेरी बहन निकले, जो मेरे जितने भी रेसलिंग में रिकॉर्ड है वो तोड़े, क्योंकि अगर हमारे गांव से कोई नहीं निकला है तो बहुत दुख होता है। हमने इतना सबकुछ हासिल किया है, हमने रास्ते खोले, हमने इतनी उम्मीद दी है तो हमारी बहनों को हमारे बाद जगह को भरना है तो दायित्व निभाएं। आप सब मेरे बड़े बुजुर्ग जितने भी हैं मेरी बहनों का जरूर साथ दें। वो बहुत कुछ कर सकती हैं। आपका सहारा, आपकी उम्मीद, आपका विश्वास चाहिए।”
