IND-U19 vs ENG-U19: 14 साल की उम्र में वैभव सूर्यवंशी जिस तरह की क्रिकेट खेल रहे हैं वो अपने-आप में अजूबा है। वैभव इस वक्त इंडिया अंडर 19 टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और इंग्लैंड अंडर 19 टीम के खिलाफ हाल ही में उन्होंने 5 मैचों की वनडे सीरीज खेली है। इस सीरीज में वो सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बैटर रहे और कमाल की बल्लेबाजी की।
वैभव ने इंग्लैंड के खिलाफ 355 रन 5 मैचों में बनाए और इस दौरान उन्होंने 30 चौके और 29 छक्के भी लगाए यानी 355 रन में से उन्होंने 294 रन सिर्फ बाउंड्री के जरिए ही हासिल किए। वैभव लंबी-लंबी बाउंड्री लगाने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इतनी कम उम्र में उनमें इतनी ताकत कहां से आती है। आखिर वो किस तरह की डाइट लेते हैं और उनका डाइट प्लान क्या है आइए इसके बारे में जानते हैं।
फिट रहने के लिए वैभव करते हैं कड़ी मेहनत
क्रिकेट के मैदान पर सफल होने के लिए खिलाड़ी का सुपर फिट होना काफी जरूरी है और वैभव इसके लिए कड़ी मेहनत करते हैं। आधुनिक युग में जहां काफी क्रिकेट खेली जाती है वहां अगर खिलाड़ी शारीरिक तौर पर पूरी तरह से फिट ना हो तो उसके लिए बड़े-बड़े शॉट लगाना मुश्किल है और वैभव के लिए भी ये जरूरी है। वैभव जिस तरह की ट्रेनिंग करते हैं वही उन्हें शॉट लगाने की शक्ति देता है और ये फील्डिंग में भी काफी काम आता है।
फिटनेस विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी खिलाड़ी को सफल होने के लिए उन्हें कम उम्र में ही अपनी ताकत को विकसित करने की जरूरत होती है। वैभव भी अपने वर्कआउट के जरिए अपनी ताकत को विकसित करने की कोशिश करते हैं और इसकी वजह से ही वो उच्च स्तर पर इतने सफल भी हो रहे हैं। वैभव का डाइट प्लान काफी अनुशासित है और उन्होंने खुद को फिट रखने के लिए कई तरह के त्याग भी किए हैं।
वैभव ने छोड़ दिया मटन और पिज्जा
वैभव को बचपन के कोच मनोज ओझा के मुताबिक वैभव को मटन और पिज्जा काफी पसंद थे, लेकिन उन्होंने इसे छोड़ जिया जिसे कि वो अपना वजन मेंटेन रख सकें और अपनी फिटनेस बनाए रख सकें। मनोज ने टीओआई को दिए एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उसे मटन और पिज्जा काफी पसंद था, लेकिन उसे इन चीजों को छोड़ना पड़ा। वो बच्चा है और उसे जितना मटन परोसा जाए वो सब खा जाता है, लेकिन इससे उसकी फिटनेस पर असर हो सकता था इस वजह से उसने इसे छोड़ दिया।
वैभव के डाइट प्लान की बात करें तो उनके भोजन में अब लीन प्रोटीन, कॉम्प्लेक्स कार्ब्स और हाइड्रेशन पर काफी ध्यान दिया जाता है। चीट मील भी वो बहुत कम खाते हैं और जंक फूड तो उनकी थामी में ना के बराबर है। इतनी कम उम्र में अपने पोषण के प्रति जो उन्होंने समर्पण किया है ये सबसे बड़ा कारण है कि वो कई बड़े-बड़े पेशेवरों से मुकाबला कर पाते हैं और उनसे बेहतर प्रदर्शन करने में सफल हो पाते हैं।