भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी वंदना कटारिया ने 31 जुलाई 2021 को टोक्यो में इतिहास रचा। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में हैट्रिक लगाई। वह ओलंपिक 125 साल के इतिहास में हॉकी में हैट्रिक लगाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं।
ओवरऑल बात करें तो 1984 के बाद किसी भारतीय ने पहली बार ओलंपिक में हैट्रिक लगाई है। इससे पहले आखिरी बार 1984 ओलंपिक में पुरुष हॉकी खिलाड़ी विनीत शर्मा ने हैट्रिक लगाई थी। विनीत ने तब मलेशिया के खिलाफ मुकाबले में यह उपलब्धि हासिल की थी। वह मैच भारत ने 3-1 से जीता था। खेलों के महाकुंभ यानी ओलंपिक में भारतीय हॉकी की ओवरऑल यह 32वीं हैट्रिक है। इन 32 में से 7 हैट्रिक मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) के नाम हैं।
मेजर ध्यानचंद ने ओलंपिक में हॉकी में भारत की ओर से सबसे ज्यादा हैट्रिक लगाईं हैं। सबसे पहली हैट्रिक भी हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद ने ही लगाई थी। उनके बाद बलबीर सिंह का नंबर आता है। बलबीर सिंह ने 4 बार यह कारनामा किया है।
ओलंपिक में देश को पहला पदक भी हॉकी ने ही दिलाया था। 1928 के एम्सटर्डम ओलंपिक में हॉकी इंडिया ने गोल्ड जीता था। उसके बाद भारत ने हॉकी में 1956 तक लगातार 6 स्वर्ण पदक जीते।
साल 1960 में उसे रजत पदक से संतोष करना पड़ा। इसके बाद उसने 1964 में गोल्ड, 1968 और 1972 में ब्रॉन्ज मेडल जीते। साल 1980 में उसने अपना 8वां गोल्ड मेडल जीता। हालांकि, उसके बाद से हॉकी में भारत कोई पदक नहीं जीत पाया है।
वंदना कटारिया ने ऐसे दिलाई भारत को जीत
स्ट्राइकर वंदना कटारिया की ऐतिहासिक हैट्रिक के दम पर भारत ने ‘करो या मरो’ के मुकाबले में निचली रैंकिंग वाली दक्षिण अफ्रीका टीम को 4-3 से हराकर टोक्यो ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में प्रवेश की उम्मीदें बरकरार रखी हैं। वंदना ने चौथे, 17वें और 49वें मिनट में गोल किया।
नेहा गोयल ने 32वें मिनट में एक गोल दागा। दक्षिण अफ्रीका के लिए टेरिन ग्लस्बी (15वां), कप्तान एरिन हंटर (30वां) और मेरिजेन मराइस (39वां मिनट) ने गोल दागे। भारत ने ग्रुप चरण में पहले तीन मैच हारने के बाद आखिरी दो मैचों में जीत दर्ज की।
भारतीय खेमे को अब दुआ करनी होगी कि ब्रिटेन ग्रुप ए के आखिरी पूल मैच में आयरलैंड को हरा दे या ड्रॉ खेले। हर पूल से शीर्ष चार टीमें नॉकआउट चरण खेलेंगी। भारत को स्पर्धा में बने रहने के लिए हर हाल में यह मैच जीतना था। भारतीयों ने पहले मिनट से ही दबाव बनाना शुरू कर दिया। मैच के पहले दो मिनट में भारत को दो पेनल्टी कॉर्नर मिले लेकिन ड्रैग फ्लिकर गुरजीत कौर का खराब फॉर्म जारी रहा।
successful penalty corner attempts by #IND‘s Vandana Katariya in their clash against #RSA today! She became the first Indian woman to score a hat-trick at the Olympics.#Tokyo2020 | #UnitedByEmotion | #StrongerTogether | #Hockey pic.twitter.com/VxSUwJOA7s
— #Tokyo2020 for India (@Tokyo2020hi) July 31, 2021
भारत का खाता चौथे मिनट में वंदना ने खोला। दाहिने फ्लैंक से नवनीत कौर के बनाए मूव पर करीब से गेंद लेकर उन्होंने यह गोल किया। इसके बाद भी भारतीयों ने दबाव बनाए रखा और दक्षिण अफ्रीका के गोल पर कई हमले बोले। पहले क्वार्टर के आखिरी पलों में हालांकि, ग्लास्बी के गोल पर दक्षिण अफ्रीका ने बराबरी की। दूसरे क्वार्टर के दूसरे मिनट में वंदना ने फिर भारत को बढ़त दिलाई और पेनल्टी कॉर्नर पर गोल किया। भारत को इस क्वार्टर में तीन मौके और मिले लेकिन गोल नहीं हो सका।
पहले क्वार्टर की ही तरह भारत ने हॉफ टाइम से ठीक पहले बढत गंवा दी। हंटर ने अपनी टीम कोमिले पहले पेनल्टी कॉर्नर पर बराबरी का गोल किया। दूसरे हॉफ में नेहा ने दूसरे ही मिनट पर पेनल्टी कॉर्नर पर लिये गए वेरिएशन पर गोल दागा। एक बार फिर मराइस के गोल पर दक्षिण अफीका ने बराबरी की। भारत के लिए चौथा गोल 49वें मिनट में वंदना ने किया।
पिता के निधन पर नहीं पहुंच पाई थीं वंदना
बहादराबाद ब्लॉक क्षेत्र के गांव रोशनाबाद निवासी वंदना कटारिया ने पढ़ाई के साथ हॉकी को अपना करियर बनाने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत की है। यही कारण है कि ओलंपिक की तैयारियों के दौरान जिस वक्त उनके पिता का निधन हुआ था वे अपने गांव तक नहीं पहुंच पाई थीं। टोक्यो ओलंपिक में मिली उपलब्धि के बाद वंदना ने अपने पिता को श्रद्धांजलि दी है।
ओलंपिक में भारत की ओर से अब तक लगीं 32 हैट्रिक
मेजर ध्यानचंद- 1928 एम्स्टर्डम ओलंपिक- ऑस्ट्रिया के खिलाफ
फिरोज खान- 1928 एम्स्टर्डम ओलंपिक- बेल्जियम के खिलाफ
मेजर ध्यानचंद-1928 एम्स्टर्डम ओलंपिक- डेनमार्क के खिलाफ
मेजर ध्यानचंद- 1928 एम्स्टर्डम ओलंपिक- स्विटजरलैंड के खिलाफ
मेजर ध्यानचंद- 1932 लॉस एंजिलिस ओलंपिक- जापान के खिलाफ
रूप सिंह- 1932 लॉस एंजिलिस ओलंपिक- जापान के खिलाफ
मेजर ध्यानचंद- 1932 लॉस एंजिलिस ओलंपिक- अमेरिका के खिलाफ
रूप सिंह- 1932 लॉस एंजिलिस ओलंपिक- अमेरिका के खिलाफ
मेजर ध्यानचंद- 1936 बर्लिन ओलंपिक- जापान के खिलाफ
मेजर ध्यानचंद- 1936 बर्लिन ओलंपिक- फ्रांस के खिलाफ
मेजर ध्यानचंद- 1936 बर्लिन ओलंपिक- जर्मनी के खिलाफ
पैट्रिक जॉनसन- 1948 लंदन ओलंपिक- ऑस्ट्रिया के खिलाफ
बलबीर सिंह- 1948 लंदन ओलंपिक- अर्जेंटीना के खिलाफ
बलबीर सिंह- 1952 हेलसिंकी ओलंपिक- ब्रिटेन के खिलाफ
बलबीर सिंह- 1952 हेलसिंकी ओलंपिक- नीदरलैंड के खिलाफ
बलबीर सिंह- 1956 मेलबर्न ओलंपिक- अफगानिस्तान के खिलाफ
ऊधम सिंह कुल्लर- 1956 मेलबर्न ओलंपिक- अफगानिस्तान के खिलाफ
रणधीर सिंह जेंटल- 1956 मेलबर्न ओलंपिक- अफगानिस्तान के खिलाफ
ऊधम सिंह कुल्लर- 1956 मेलबर्न ओलंपिक- अमेरिका के खिलाफ
हरदयाल सिंह- 1956 मेलबर्न ओलंपिक- अमेरिका के खिलाफ
गुरदेव सिंह- 1956 मेलबर्न ओलंपिक- अमेरिका के खिलाफ
प्रतिपाल सिंह- 1960 रोम ओलंपिक- डेनमार्क के खिलाफ
रघबीर भोला- 1960 रोम ओलंपिक- डेनमार्क के खिलाफ
हरबिंदर सिंह- 1968 मैक्सिको ओलंपिक- मैक्सिको के खिलाफ
मुखबैन सिंह- 1972 म्यूनिख ओलंपिक- ब्रिटेन के खिलाफ
कुलवंत सिंह- 1972 म्यूनिख ओलंपिक- मैक्सिको के खिलाफ
देविंदर सिंह- 1972 म्यूनिख ओलंपिक- तंजानिया के खिलाफ
वासुदेवन बास्करन- 1972 म्यूनिख ओलंपिक- तंजानिया के खिलाफ
सुरिंदर सोढ़ी- 1972 म्यूनिख ओलंपिक- क्यूबा के खिलाफ
विनीत शर्मा- 1984 लॉस एंजिलिस ओलंपिक- मलेशिया के खिलाफ