टोक्यो ओलंपिक में 10वें दिन रविवार को 91 किलोग्राम वर्ग के सुपर हेवीवेट बॉक्सिंग के क्वार्टरफाइनल मुकाबले में भारत के सतीश कुमार को हार का सामना करना पड़ा। लेकिन सतीश की ये हार नॉर्मल परिस्थितियों में नहीं थी और वे कई टांकों के साथ बॉक्सिंग रिंग में उतरे थे। सतीश ने प्री-क्वार्टर के मैच में इंजरी के बावजूद आज का मुकाबला विश्व नंबर एक के खिलाफ लड़ा और भारत ही नहीं पूरी दुनिया का दिल जीत लिया।
आपको बता दें कि आज ओलंपिक में भारत के एक और पदक की उम्मीद जरूर टूट गई लेकिन दिल नहीं टूटा। सतीश कुमार आज के मैच में जिस जज्बे के साथ रिंग में उतरे और लड़े उसने सबका मन खुश कर दिया। बुरी तरह से चोटिल होने के बावजूद सतीश कुमार विश्व चैम्पियन बखोदिर जालोलोव के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में उतरे।
प्री क्वार्टर फाइनल में लगी चोटों के कारण दाईं आंख के पास और ठोड़ी पर कई टांके लगवाकर रिंग में उतरे सतीश ने ये मुकाबला 0-5 से गंवाया। उन्हें जमैका के रिकार्डो ब्राउन के खिलाफ प्री क्वार्टर फाइनल में ये चोटें लगी थीं। आज के मुकाबले में सेना के 32 वर्षीय मुक्केबाज ने अपने दाहिने हाथ से पंच भी जड़े लेकिन जालोलोव पूरे मुकाबले में हावी रहे । तीसरे दौर में सतीश के माथे पर लगा घाव खुल गया लेकिन इसके बावजूद खून बहता रहा और वह लड़ते रहे ।
विपक्षियों ने भी की तारीफ
फुटबॉलर से मुक्केबाज बने जालोलोव ने अपना पहला ओलंपिक पदक सुनिश्चित करने के बाद सतीश की बहादुरी की तारीफ की । भारतीय मुक्केबाजी के हाई परफॉर्मेंस निदेशक सैंटियागो नीवा ने कहा ,‘‘अभी उसका मनोबल टूटा है लेकिन जब वह सामान्य होगा तो उसे पता चलेगा कि चोटों के साथ रिंग में उतरना कितनी बड़ी बात थी ।’’
One more loss in QFs but We’re proud of Satish kumar for playing despite of an injury
He fought well and was great in 1st Round & 3rd round still he lost it 5-0, I don’t understand how.
Champ Satish kumar #Boxing #Olympics #TeamIndia pic.twitter.com/yfVIEayTRB
— Girish (@ViratkohliFabb2) August 1, 2021
उन्होंने कहा ,‘‘ चोट के बावजूद इस तरह की टक्कर देना काबिले तारीफ है । हर पंच से उसका दर्द बढ रहा था और उसे यह महसूस हो रहा था । उज्बेकिस्तान का मुक्केबाज शानदार था ।’’
गौरतलब है सतीश सुपर हैवीवेट में क्वालीफाई करने वाले भारत के पहले मुक्केबाज थे । वहीं जालोलोव तीन बार के एशियाई चैम्पियन भी रहे चुके हैं । इसके साथ ही पुरुष मुक्केबाजी में भारतीय चुनौती समाप्त हो गई । लवलीना बोरगोहेन (69 किलो) महिला वर्ग में सेमीफाइनल खेलेंगी जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में मुक्केबाजी में भारत का पहला और एकमात्र पदक सुनिश्चित किया है ।
इन मुक्केबाजों से टूटी पदक की उम्मीद
भारत की पदक उम्मीदें इस तरह टूटी जब कल दुनिया के नंबर एक मुक्केबाज अमित पंघल (52 किलो) रियो ओलंपिक के रजत पदक विजेता युबेरजेन मार्तिनेज से 1-4 से हारकर बाहर हो गए । चोटिल विकास कृष्णन (69 किलो) , पहला ओलंपिक खेल रहे मनीष कौशिक (63 किलो) और आशीष चौधरी (75 किलो) पहले दौर में हारकर बाहर हो गए । महिला वर्ग में छह बार की विश्व चैम्पियन एम सी मैरीकॉम (51 किलो), दो बार की एशियाई चैम्पियन पूजा रानी (75 किलो) और विश्व चैम्पियन कांस्य पदक विजेता सिमरनजीत कौर (60 किलो) भी हारकर बाहर हो गईं ।