टीम इंडिया के टेस्ट कैप्टन विराट कोहली ने महेन्द्र सिंह धोनी के सफल उत्तराधिकारी के रुप में न केवल अपने आप को साबित किया है बल्कि 2014 के आखिर में टीम संभालने वाले इस धुरंधर बल्लेबाज ने 2 साल से कम समय में टीम को नंबर वन पायदान पर ला खड़ा किया है। हालांकि, हाल में ही विराट को एक टेस्ट सीरीज से हाथ गंवाना पड़ा है। क्रिकेट की बुलंदियों पर पहुंचे विराट कोहली के लिए यह इतना आसान नहीं रहा। उन्होंने इसके लिए कड़े संघर्ष किए हैं।
3 साल बाद टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण: विराट कोहली ने साल 2008 में ही एक दिवसीय मैचों में अपना बेहतर परफॉर्मेन्स दिखाया था। उनकी कप्तानी में मलेशिया में आयोजित अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप में भारतीय टीम विजयी हुई थी लेकिन उनका लोहा दुनिया ने साल 2011 में माना जब कोहली ने अंग्रेजों के दांत खट्टे किए। तब कई लोगों ने माना कि कोहली को पहले ही टीम में शामिल किया जाना चाहिए था।
भीड़ को उंगली दिखाने पर बहुत आलोचना हुई: सिडनी टेस्ट के दौरान उनकी जमकर आलोचना हुई क्योंकि उन्होंने भीड़ को अपने हाथ की बीचवाली उंगली दिखाई थी। तब कोहली ने बचाव में कहा था कि क्रिकेटर भी एक आम इंसान होते हैं। वह भी कुछ प्रतिक्रिया दे सकता है।
कोहली ने जड़ा था पहला शतक: दिसम्बर 2011 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच में उन्होंने पहला शतक जड़ते हुए 116 रन बनाए थे। हालांकि टीम इंडिया ने 4-0 से सीरीज गंवा दिया। टेस्ट के दौरान कोहली ने सिडनी क्रिकेट ग्राउंड के प्रशंसकों पर अपना गुस्सा जताया, जो उसका अपमान कर रहे थे, इसके लिए उनकी मैच फीस का आधा जुर्माना किया गया।
वीडियो देखिए: जब क्रीज पर ठहाका लगाने लगे कोहली
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धोनी के रिटायरमेंट के बाद बने कैप्टन: महेन्द्र सिंह धोनी ने साल 2014 में कप्तानी छोड़ी थी, तब भारत ऑस्ट्रेलिया दौरे की तैयारी कर रहा था। धोनी की जगह कोहली को कप्तान बनाया गया। टीम इंडिया की आक्रामकता की दिशा में यह पहला और एकदम नया कदम था।
400 रन बनाए फिर भी भारत हारा: अपनी कप्तानी में साल 2014-15 के सीरीज मैच में कोहली ने 8 इनिंग्स में 400 रन बनाए हालांकि भारत सीरीज 2-0 से हार गया लेकिन 2015 में दक्षिण अफ्रीका को हराकर 3-0 से हराकर भारत कोहली की कप्तानी में फिर से नंबर वन टेस्ट टीम बन गया। अभी हाल ही में न्यूजीलैंड को हराकर भारत ने फिर से अपनी बादशाहत बरकरार रखी है।

