WWE देखने में बड़ी मजेदार लगती है। रिंग में रेसलर्स का भिड़ना। फाइट में जमकर पटखनियां देना। प्रॉप्स के तौर पर कुर्सी, हथौड़े और पेंचकस से हमले करना। ये सब हमें टीवी पर अच्छा लगता है। लेकिन अक्सर ये फाइटर्स के लिए जिंदगी-मौत का सवाल होता है। वह इसलिए क्योंकि यहां जो फाइट होती हैं, वे असली होती हैं। भारत के पहलवान द ग्रेट खली ने इस बारे में राज से पर्दा उठाया।

अक्सर कहा जाता है कि WWE में चीजें फिक्स होती हैं। रेसलर्स के बीच में फाइटें पहले से तय रहती हैं। मने कौन जीतेगा और कौन कहां कैसे पिटेगा, वगैरह-वगैरह। फैंस से यह भी सुना जाता है कि वहां तो सब दिखावा होता है। रेसलर्स को चोट नहीं लगती। जो खून बहता दिखता है, वह नकली होता है। इन सब बातों पर एक टीवी इंटरव्यू में खली से पूछा गया।

यह पूछे जाने पर कि रेसलर्स का जो खून बहता है, क्या वह नकली होता है? उसके लिए कोई खास कैप्सूल का इस्तेमाल होता है? महाबली खली ने इस पर कहा कि WWE में ऐसा नहीं होता है। अगर मुझे इस बारे में पता होता, तो मैं जरूर बताता। कैप्सूल आता होगा, लेकिन मैंने आज तक वहां इस्तेमाल होते नहीं देखा।

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एंकर शो में आगे वह कैप्सूल दिखाता है, जिसे जर्मनी से मंगाया गया होता है। जरा सा पानी डालने पर वह लाल रंग के तरल पर्दाथ में तब्दील हो जाता है। देखने में बिल्कुल खून जैसा लगता है। खली इस पर कहते हैं (मजाक में) कि आप यह मुझे दे दीजिए। हम यही लगाएंगे। कुर्सी नहीं खाएंगे। कैप्सूल ही सिर पर रख लिया करेंगे।

उन्होंने कहा कि यह कैप्सूल फिल्मों में काम आता होगा। सही में, इसका इस्तेमाल वहीं होता होगा। जहां हजारों लोग बैठते हैं, वहां नकली खून के लिए हम क्यों कैप्सूल लगाएंगे। हम पर बिलियन डॉलर्स निवेश किए गए होते हैं। अगर ऐसे ही कैप्सूल से काम चल जाता है, तो मेरी और अंडरटेकर की क्या जरूरत थी। इसलिए टीवी पर जो खून बहता आप देखते हैं, वह असली होता है। खली का खून बहता है, वह असली होता है। बाकियों का भी असली होता है।

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