भारतीय हॉकी कोच टेरी वॉल्श ने हॉकी इंडिया और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के साथ अनुबंध संबंधी बातचीत नाकाम रहने के बाद आज अपना पद छोड़ दिया लेकिन इस ऑस्ट्रेलियाई के विचारार्थ नये प्रस्ताव पर काम किया जा रहा है।

वॉल्श का अनुबंध कल समाप्त हो रहा है। उन्होंने पिछले महीने ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था क्योंकि हॉकी इंडिया और साई ने टीम फैसलों में उनकी बात को अधिक महत्व देने और उनकी पसंद का सहयोगी स्टाफ रखने की मांगों को नामंजूर कर दिया था।

उनसे पद पर बने रहने के लिये बातचीत चल रही थी और वह सुबह खेल मंत्री सर्बानंद सोनोवाल से भी मिले थे लेकिन बातचीत का कोई परिणाम नहीं निकल पाया। इससे वॉल्श ने अपना इस्तीफा वापस लिये बिना ऑस्ट्रेलिया लौटने का फैसला कर लिया।

हालांकि उनके पास अगले दो दिनों में नया प्रस्ताव भेजा जाएगा जिससे उनके भारत वापसी के लिये दरवाजे अब भी खुले हुए हैं।  वॉल्श भी संवाददाता सम्मेलन में उपस्थित थे और उन्होंने कहा कि वह अब भी भारतीय टीम को कोचिंग देने को लेकर आशावान थे और नये प्रस्ताव में उनकी सभी मांगों पर गौर किया जाएगा।

वॉल्श का अपने पद पर बने रहने को लेकर तब संदेह जताया जाने लगा था जब रिपोर्ट आयी कि उनके और हॉकी इंडिया के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा के बीच गंभीर मतभेद पैदा हो गये हैं।

बत्रा ने आरोप लगाया कि वॉल्श अमेरिकी हॉकी में अपने कार्यकाल के दौरान ‘वित्तीय धोखाधड़ी’ में शामिल रहे थे और वह इस ऑस्ट्रेलियाई को टीम के साथ रखने के पक्ष में नहीं थे।

यदि वॉल्श वापस नहीं आते तो इसे भारतीय हॉकी के लिये बड़ा झटका माना जा सकता है क्योंकि उनके रहते हुए टीम ने अच्छे परिणाम हासिल किये थे। भारतीय पुरुष टीम ने हाल में 16 वर्षों के अंतराल के बाद एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक जीता जिससे उसने 2016 में रियो में होने वाले ओलंपिक खेलों के लिये क्वालीफाई किया।

इससे पहले टीम ने ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता और हाल में विश्व चैंपियनशिप ऑस्ट्रेलिया से उसकी सरजमीं पर श्रृंखला जीती।
वॉल्श की मांगों पर गौर करने के लिये तीन सदस्यीय समिति का गठन भी किया गया था लेकिन वह किसी परिणाम पर पहुंचने में नाकाम रही थी। इस पैनल में पूर्व हॉकी कप्तान अजित पाल सिंह, अशोक कुमार और जफर इकबाल शामिल थे। पैनल ने वॉल्श, हॉकी इंडिया के परफॉरमेन्स निदेशक रोलेंट ओल्टमैन्स और भारतीय खेल प्राधिकरण के अधिकारियों से दो बार बैठक की लेकिन वे किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाये थे।

वॉल्श ने फैसलों में उनकी बात को तवज्जो देने और अपनी पसंद के सहयोगी स्टाफ के अलावा 120 दिन के भुगतान अवकाश की भी मांग की थी। उन्होंने कहा कि इस अवकाश के दौरान वह खिलाड़ियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये जुड़े रहेंगे।

वॉल्श ने कहा कि व्यवस्था में बदलाव से प्रगति नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं वास्तव में साई और सरकार की समीक्षा करने और भारत में हॉकी को बढ़ावा देने के लिये संभवत: कुछ बदलाव लागू करने की इच्छा से उत्साहित हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रक्रिया में उनका सहयोग बेहद सकारात्मक रहा और इससे देश में हॉकी को आगे बढ़ाने की उनकी इच्छा साफ उजागर होती है। बदलाव कभी आसान नहीं होते लेकिन इसके बिना प्रगति नहीं की जा सकती है।’’

वॉल्श ने कहा कि राष्ट्रीय टीम में बहुत अधिक संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘खिलाड़ियों और सहयोगी स्टाफ के प्रदर्शन से मैं मजबूत बना। इस टीम में बहुत अधिक संभावनाएं हैं। मैं उन्हें अपने प्रयासों, उनके भरोसे और इससे बढ़कर उनकी मित्रता के लिये उनका आभार व्यक्त करता हूं। लेकिन कल शाम से मैं राष्ट्रीय कार्यक्रम से जुड़ी अपनी भूमिका नहीं निभा रहा हूं।’’

वॉल्श ने साफ किया कि उनके मतभेद हॉकी इंडिया से थे लेकिन साई से नहीं हैं जैसे कि पहले कहा गया था। इसके साथ ही उन्हें अब भी सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अब भी भविष्य में इस स्थिति के समाधान की उम्मीद कर रहा हूं। आज मेरे मामले पर चर्चा हुई और मुझे अभी इस पर विचार करने के लिये कुछ दिन का समय चाहिए।’’