कोरोनावायरस के कारण दुनिया भर में खेल गतिविधियों पर लगाम लगी हुई है। हालांकि, इस दौरान कई ऐसे खुलासे हो रहे हैं, जिससे वाकई हैरान करने वाले हैं। ताजा मामला जिम्बाब्वे क्रिकेट से जुड़ा है। जिम्बाब्वे के टेटेंडा टायबू दुनिया के सबसे कम उम्र के टेस्ट कप्तान होने का रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं। उनका यह रिकॉर्ड पिछले साल अफगानिस्तान के राशिद खान ने तोड़ा था।
जिम्बाब्वे का यह विकेटकीपर बल्लेबाज जब करियर के अपने चरम पर था, तभी उसे संन्यास लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था। द हिंदू में छपी खबर के मुताबिक, टायबू ने अपनी आत्मकक्षा ‘कीपर ऑफ फेथ’ में विस्तार से इसके बारे में लिखा है। टेंटेडा टायबू की मानें तो उन्हें अप्रत्याशित रूप से जिम्बाब्वे के तत्कालीन राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे के कारण खेल से खुद को दूर करना पड़ा था।
बाद में 2012 में 28 साल की उम्र में संन्यास का ऐलान करना पड़ा। टायबू को यह सजा जिम्बाब्वे क्रिकेट में फैले भ्रष्टाचार को उजागर करने के कारण मिली। रॉबर्ट मुगाबे देश के पहले प्रधानमंत्री और दूसरे राष्ट्रपति थे। 6 सितंबर 2019 को उनकी मृत्यु हो गई थी।
टायबू के मुताबिक, पहले उन्हें रिश्वत देने की कोशिश हुई और प्राइम लोकेशन पर एक फॉर्मलैंड देने का वादा किया गया। वे जब इस पर तैयार नहीं हुए तो उप सूचना मंत्री ने उन्हें अपने कार्यालय में बुलाया और उनकी ओर एक लिफाफा फेंक दिया। हालांकि, उसमें बहुत ज्यादा पैसा नहीं था। इसमें उन लोगों की तस्वीरें थीं, जिनकी सत्ता पक्ष के विरोध करने पर हत्याएं कर दी गईं थीं।
टायबू को मालूम था कि यदि उन्होंने राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे के गुर्गों के कब्जे वाले भ्रष्ट क्रिकेट बोर्ड का विरोध करना नहीं छोड़ा तो उनका भी हाल होगा। वे उस समय महज 22 साल के थे। टायबू को लगा कि उन्हें देश छोड़ना पड़ेगा। टायबू को तब राष्ट्रीय टीम की कमान संभाले हुए 2 साल ही हुए थे। उनका बेटा भी बहुत छोटा था। उसके बाद उनकी पत्नी के अपहरण की भी कोशिश की गई। वे जहां भी जाते थे, सरकारी अधिकारी उनका पीछा करते थे। उन्हें धमकी भरे फोन किए गए। उनके खिलाफ झूठी खबरें फैलाईं गईं।
हालांकि, हेनरी ओलोंगा की तरह, जिन्होंने 2003 विश्व कप में एंडी फ्लावर के साथ मिलकर क्रिकेट बोर्ड के खिलाफ आवाज उठाई थी, टायबू ने समय से पहले ही संन्यास लेना सही समझा। वे महज 18 साल की उम्र में ही राष्ट्रीय टीम में चुन लिए गए थे। वे उसी साल उप-कप्तान बनाए गए, जबकि 20 साल की उम्र में सबसे कम उम्र में टेस्ट कप्तान बनने का रिकॉर्ड बनाया।
टायबू ने भारत के मंसूर अली खान पटौदी का रिकॉर्ड तोड़ा था। पटौदी ने 21 साल 77 दिन में भारतीय क्रिकेट टीम का नेतृत्व किया था। बता दें कि टायबू जब 20 साल 358 दिन के थे, तभी उन्होंने राष्ट्रीय टीम की कमान संभाल ली थी। 2004 से 2019 तक दुनिया के सबसे उम्र के टेस्ट कप्तान का रिकॉर्ड उनके नाम रहा था।