सुप्रीम कोर्ट ने
ठाकुर ने अपने हलफनामे में कहा, ‘पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर ने अपने द्वारा लिए गए स्टैंड के बारे में मुझे बताया था, मामला कोर्ट में लंबित था और इस पर फैसला नहीं आया था।’ बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा कि उन्होंने लोढ़ा पैनल की सिफारिशों का विरोध नहीं किया है। बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने आईसीसी सीईओ से यह कहने के लिए कहा था कि बीसीसीआई के कामकाज में लोढ़ा समिति की सिफारिशें सरकारी दखल के समकक्ष हैं। ठाकुर ने सात अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट से मिले निर्देश के बाद सोमवार को निजी हलफनामा दाखिल किया।
वीडियो: लोढ़ा कमेटी रिपोर्ट पर जस्टिस लोढ़ा ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट इस पर संज्ञान लेगा”
ठाकुर ने अपने हलफनामे में बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष शशांक मनोहर पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि दुबई में छह और सात अगस्त को आईसीसी की, फाइनेंस से जुड़े कुछ मुद्दों को लेकर बैठक थी, जिसमें भाग लेने के लिए वह दुबई गए थे। वहां उन्होंने चेयरमैन शशांक मनोहर के सामने सवाल उठाया था कि जब वह बीसीसीआई के अध्यक्ष थे तब उनका कहना था कि जस्टिस लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने के बाद बीसीसीआई के कामकाज में सरकार की दखलअंदाजी बढ़ जाएगी और इसके चलते उन्हें आईसीसी से सस्पेंड भी होना पड़ सकता है। ठाकुर ने कहा कि जब शशांक मनोहर बीसीसीआई अध्यक्ष थे तब यह निर्णय लिया गया था और उस समय सुप्रीम कोर्ट का लोढ़ा पैनल पर कोई फैसला नहीं आया था।
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हालांकि 18 जुलाई 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी किसी आशंका को खारिज कर दिया था। कोर्ट का कहना था कि चूंकि सीएजी की नियुक्ति से बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी इसलिए आईसीसी इसका स्वागत ही करेगी। बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने टीवी न्यूज चैनल टाइम्स नाउ के साथ बातचीत में कहा, ‘लोढ़ा कमिटी की अनुशंसा को लागू करने के लिए बहुमत नहीं था। अभी ये मामला न्यायालय में है और हम इसपर कुछ नहीं बोलेंगे। हम सभी राज्यों से इस बारे में पूछेंगे कि वो लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को मानने के लिए तैयार हैं या नहीं। लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को लागू करने के लिए तीन चौथाई बहुमत की जरूरत है। बिना इसके हम ऐसा नहीं कर सकते हैं।’ अनुराग ने साथ ही कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट से इसे लागू करने के लिए और वक्त मागेंगे।
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