इशान किशन ने अपने जन्मदिन पर श्रीलंका के खिलाफ मैच से वनडे इंटरनेशनल में डेब्यू किया। 18 जुलाई 1998 को बिहार की राजधानी पटना में जन्में दूसरे भारतीय हैं, जिन्होंने अपने जन्मदिन पर वनडे इंटरनेशनल में डेब्यू किया। उनसे पहले गुरुशरण सिंह ने अपने जन्मदिन पर भारत के लिए वनडे में डेब्यू किया था। आठ मार्च 1963 को पंजाब के अमृतसर में जन्में गुरुशरण सिंह ने 8 मार्च 1980 को हैमिल्टन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच से वनडे में डेब्यू किया था।

खास यह है कि जब इशान किशन को भारत की अंडर-19 क्रिकेट टीम का कप्तान चुना गया था, तब उस टीम के कोच राहुल द्रविड़ थे। अब श्रीलंका में भारत की सीमित ओवर फॉर्मेट की टीम के हेड कोच भी राहुल द्रविड़ ही हैं। इशान किशन ने 14 मार्च 2021 को अहमदाबाद में इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए मैच से टी20 इंटरनेशनल में कदम रखा था। अब उनका वनडे डेब्यू भी हो गया। इशान किशन ने अपने टी20 डेब्यू मैच में 32 गेंद में 56 रन की पारी खेली थी। उस मैच में उन्होंने कई रिकॉर्ड भी बनाए थे। वह प्लेयर ऑफ द मैच भी चुने गए थे।

हालांकि, मूल रूप से बिहार के रहने वाले इशान किशन ने चयनकर्ताओं का विश्वास जीतने और क्रिकेट के लिए काफी संघर्ष किया है। इशान किशन के बचपन के कोच उत्तम मजूमदार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि उन्होंने पहली बार इशान किशन को 2005 में देखा था। वह अपने बड़े भाई राजकिशन के साथ उनसे मिले थे।

इशान किशन के पिता प्रणव कुमार पांडेय ने बताया, ‘उत्तम मजूमदार ने मुझसे कहा कि कुछ भी करना, लेकिन अपने लड़के का क्रिकेट बंद मत करना। हम उनके पास बड़े बेटे के चयन के लिए गए थे। हालांकि, वह इशान से ज्यादा प्रभावित हुए। इशान को देखने के बाद मजूमदार ने कहा था कि इसमें कुछ स्पार्क है। उसका मैदान में चलना और क्रिकेट के बारे में सोचना उसे अन्य लड़कों से अलग बनाता है।’

हालांकि, जब इशान किशन 12 साल के थे, तब उनके परिवार को उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण फैसला लेना पड़ा। उनके पिता ने कहा था, ‘इशान तब छोटा था। उसके कोच और अन्य लोगों ने कहा कि अगर उसे बड़े स्तर पर क्रिकेट खेलना है तो रांची शिफ्ट होना पड़ेगा। उसकी मां परेशान थी, लेकिन काफी विचार-विमर्श के बाद हमने उसे पड़ोसी राज्य में भेजने का फैसला किया। मन में डर था, लेकिन इशान रांची जाने की जिद पर अड़ा था।’

इशान को रांची में जिला क्रिकेट टूर्नामेंट में सेल (SAIL यानी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड) की टीम में चुना गया था। सेल ने उसे एक कमरे का क्वार्टर दिया था। उसमें चार अन्य सीनियर्स क्रिकेटर्स भी रहते थे। इशान छोटा था और खाना भी नहीं बनाना जानता था, इसलिए उनका काम बर्तन साफ करना और पानी भरकर रखना होता था। एक बार जब उनके पिता रांची गए, तो उन्हें एक पड़ोसी ने बताया कि उनका बेटा कई रात खाली पेट ही सोया है।

किशन के पिता ने कहा, ‘दरअसल, उसके सीनियर्स रात में क्रिकेट खेलने चले जाते थे। इस कारण कई बार वह रात में बिना खाना खाए ही सो जाता था। हालांकि, उसने हमें कभी यह बात नहीं बताई। दो साल तक ऐसा ही चलता रहा। वह कभी चिप्स तो कभी कुरकुरे और कोका-कोला पीकर सो जाता था। हम जब उसे फोन करते तो वह झूठ बोल देताकि रात में खाना खाया है। जब हमें दोबारा उसके रात में खाली पेट सोने की बात पता चली तो हमने रांची में एक फ्लैट किराए पर लेने का फैसला किया।’

इशान किशन की मां सुचित्रा अपने बेटे के साथ नए घर में रहने लगीं। इशान जब 15 साल के थे, तब उनका चयन झारखंड की रणजी टीम में हुआ। उन्होंने असम के खिलाफ गुवाहाटी में ओपनिंग करते हुए 60 रन बनाए। फिर उनका चयन भारतीय अंडर-19 क्रिकेट टीम में हो गया।

राहुल द्रविड़ की कोचिंग वाली टीम में उन्हें कप्तानी की जिम्मेदारी मिली। द्रविड़ ने उनके करियर को और संवारा। हालांकि, इशान किशन का अंडर-19 वर्ल्ड कप में प्रदर्शन अच्छा नहीं था, लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी और अब दो फॉर्मेट में भारत के लिए डेब्यू कर चुके हैं।