भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने महेंद्र सिंह धोनी को लेकर दिलचस्प खुलासा किया है। यह वाकया बंगाल टाइगर के नाम से मशहूर बाएं हाथ के बल्लेबाज सौरव गांगुली के क्रिकेट करियर के अंतिम पड़ाव से जुड़ा है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में टेस्ट मैच खेला जा रहा था। उसी वक्त तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने दादा के सामने कप्तानी करने का प्रस्ताव रखा था। सौरभ गांगुली ने ‘इंटरनेशनल बिजनेस टाइम्स’ से बात करते हुए बताया कि शुरुआत में उन्होंने धोनी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। बकौल गांगुली, विपक्षी टीम के नौ विकेट गिरने के बाद धोनी ने एक बार फिर से उनसे कप्तानी करने का आग्रह किया था, जिसे वह टाल नहीं पाए थे। भारत ने उस मैच में ऑस्ट्रेलिया को दस विकेट से हरा कर सीरीज पर 2-0 से कब्जा कर लिया था। सौरव गांगुली ने बताया कि वह ठीक आठ साल पहले उसी दिन भारतीय टीम के कप्तान बने थे।
सौरव गांगुली ने कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया का अंतिम बल्लेबाज मैदान पर था। मैंने कुछ ओवरों के लिए फील्ड में बदलाव के साथ गेंदबाजी में परिवर्तन भी किया था। लेकिन, मुझे यह स्वीकार करना पड़ेगा कि उस वक्त मुझे फोकस करने में परेशानी हो रही थी। ऐसे में तीन ओवर के बाद ही मैंने कप्तानी की जिम्मेदारी धोनी को सौंप दी थी और कहा था यह आपका काम है। उस वक्त हमदोनों के चेहरों पर मुस्कुराहट थी।’ सौरव गांगुली को अंतिम टेस्ट मैच में 15 रन से शतक बनाने से चूकने का अब तक मलाल है। उन्होंने बताया कि मैं तो शतक चूक गया था, लेकिन मेरे दोस्त सचिन तेंडुलकर ने जोरदार शतक लगाकर पार्टी में मजा ला दिया था। गांगुली ने कहा, ‘मैं आखिरी टेस्ट की अंतिम पारी में शून्य पर आउट हो गया था। आज भी जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे अहसास होता है कि मैंने लूज शॉट खेला था। मैंने जेसन क्रेजा के बॉल को अगेंस्ट द टर्न खेला था। वह बहुत ही खराब शॉट था और मैंने उसकी कीमत भी चुकाई थी।’ बता दें कि सौरव गांगुली ने लगातार 16 वर्षों तक भारतीय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया था।