वकील से प्रशासक बने शशांक मनोहर को आज भारतीय क्रिकेट बोर्ड का निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया जिससे बीसीसीआई में नये युग की शुरुआत हुई और एन श्रीनिवासन का इस धनाढ्य खेल संस्था पर दबदबा समाप्त हो गया।

मनोहर ने बोर्ड की विशेष आम बैठक में पद भार संभाला। बैठक आधे घंटे से भी कम समय तक चली। वह कल नामांकन जमा करने की समयसीमा खत्म होने के बाद चुनाव में शामिल एकमात्र उम्मीद्वार थे। जगमोहन डालमिया के निधन के बाद चुनाव करवाने जरूरी हो गये थे। डालमिया ने इस साल मार्च में हुए चुनावों में ही अध्यक्ष पद संभाला था।

इस बार अध्यक्ष पद के लिये प्रस्ताव रखने की बारी पूर्वी क्षेत्र की थी और उसकी सभी छह इकाईयों ने सर्वसम्मति से मनोहर की उम्मीद्वारी का समर्थन किया जिससे बोर्ड की राजनीति में श्रीनिवासन की पकड़ भी कमजोर पड़ गयी।

बीसीसीआई उप चुनाव में पूर्वी क्षेत्र से केवल एक प्रस्तावक की जरूरत थी। मनोहर को सभी छह संघों का समर्थन मिला और कल शाम सात बजे की समयसीमा तक केवल उन्होंने ही नामांकन भरा था।

दिलचस्प बात यह रही कि मनोहर के नाम का प्रस्ताव डालमिया के पुत्र अभिषेक ने रखा जो एसजीएम में अपने पारिवारिक क्लब राष्ट्रीय क्रिकेट क्लब (एनसीसी) का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

श्रीनिवासन ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया और तमिलनाडु क्रिकेट संघ का प्रतिनिधित्व पी एस रमन ने किया। जिन अन्य ने मनोहर के नाम का प्रस्ताव रखा उनमें बंगाल के सौरव गांगुली, त्रिपुरा के सौरव दासगुप्ता, असम के गौतम राय, ओड़िशा के आशीर्वाद बेहड़ा और झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के संजय सिंह शामिल हैं।

मनोहर इससे पहले 2008 से 2009 और 2010 से 2011 तीन साल तक बीसीसीआई अध्यक्ष पद पर रहे थे। उनकी नियुक्ति का मतलब है कि श्रीनिवासन के पास 2017 तक बीसीसीआई में वापसी का मौका नहीं रहेगा। मनोहर का कार्यकाल 2017 में खत्म होगा।

मनोहर की जिम्मेदारी बीसीसीआई में फिर से स्थिरता लाना होगा क्योंकि श्रीनिवासन के कार्यकाल के दौरान बोर्ड विवादों से घिरा रहा। आईपीएल 2013 के सट्टेबाजी विवाद के कारण उच्चतम न्यायालय को उन्हें बीसीसीआई चुनाव से दूर रहने के लिये कहना पड़ा था। इस सट्टेबाजी विवाद में श्रीनिवासन के दामाद और आईपीएल टीम चेन्नई सुपरकिंग्स के पूर्व प्रिंसिपल गुरूनाथ मयप्पन को दोषी पाया गया था।

श्रीनिवासन ने बीसीसीआई पर नियंत्रण बनाने के लिये अपने किसी उम्मीद्वार के लिये समर्थन जुटाने की भरपूर कोशिश की थी। यहां तक उन्होंने शरद पवार से भी मुलाकात की जो उनके धुर विरोधी रहे थे।

पवार गुट के सदस्य हालांकि श्रीनिवासन से हाथ मिलाने के पक्ष में नहीं थे। बोर्ड सचिव अनुराग ठाकुर की अगुवाई वाला एक अन्य गुट मनोहर की उम्मीद्वारी का समर्थन कर रहा था तथा पिछले सप्ताह दिल्ली में केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली से उनकी मुलाकात के बाद मनोहर के लिये रास्ता साफ हो गया।