भारतीय महिला क्रिकेटर अंशुला राव (Anshula Rao) ने देश को शर्मसार किया है। वह डोप टेस्ट (Dope Test) में पॉजिटिव पाईं गईं हैं। नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (National Anti-Doping Agency) ने उन्हें चार साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। वह देश की पहली महिला क्रिकेटर हैं, जिन पर डोपिंग के कारण प्रतिबंध लगा है।
अंशुला के दोनों सैंपल में प्रतिबंधित दवा मिली है। ऐसे में अंशुला को बी सैंपल का खर्च (करीब 2 लाख रुपए) भी उठाना होगा। नाडा की अनुशासनात्मक समिति ने उन्हें एनाबॉलिक स्टेरॉयड ’19- नॉरएंड्रोस्टेरोन के सेवन का दोषी पाया है। अंशुला रॉव ने समिति के समक्ष अपने बचाव में कहा कि उन पर लगाए गए आरोप और डोप परीक्षण में चार महीने का अंतर है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, अनुशासनात्मक समिति ने अपने बयान में कहा था कि अंशुला ने परफॉर्मेंस बढ़ाने के लिए जानबूझकर प्रतिबंधित पदार्थ का सेवन किया।
अंशुला भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की रजिस्टर्ड क्रिकेटर हैं। वह बतौर आलराउंडर खेलती हैं। मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (Madhya Pradesh Cricket Association) के साथ उनका एफिलिएशन है। वह कई टूर्नामेंट में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। अंशुला ने आखिरी बार अंडर-23 टी20 टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था।
अंशुला राव का सैंपल पिछले साल बड़ौदा में 14 मार्च को लिया गया था। वह डोप टेस्ट में फेल हो गईं थीं। उनके दोनों सैंपल बेल्जियम की लेबोरेटरी में भेजे गए थे। जांच में प्रतिबंधित दवा के नमूने मिले। अंशुला राव पहले भी डोप टेस्ट में फेल हो चुकी हैं। मार्च 2020 में प्रतिबंधित पदार्थ के सेवन के कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया था।
अगर भारतीय पुरुष क्रिकेटर्स की बात करें तो पृथ्वी शॉ पर भी डोप टेस्ट में फेल होने के कारण प्रतिबंध झेल चुके हैं। साल 2019 घरेलू सत्र के दौरान खांसी की दवा लेने की वजह से वह डोप टेस्ट में फंस गए थे। उसके बाद बीसीसीआई ने उन पर आठ महीने का बैन लगाया गया था। बाद में पृथ्वी शॉ ने कहा था कि वह खांसी से परेशान थे, इसलिए अपने पिता से पूछकर खांसी के लिए सीरप पी थी।


