क्रिकेटरों के जीवन में उनके गुरुओं की अहमियत बहुत ज्यादा है। उन्होंने ही इन खिलाड़ियों को इस खेल की बारिकियों से रूबरू कराया, जिसकी बदौलत वह आज इस खेल में महारथी हैं। उन्हीं में से एक हैं सचिन तेंदुलकर, जिन्होंने 5 सितंबर यानी टीचर्स डे के दिन अपने बचपन के कोच रमाकांत आचरेकर को याद किया। सचिन ने उस वाकये के बारे में बताया, जब आचरेकर ने सचिन को सबसे सामने झाड़ लगा दी थी और इसके बाद उनकी जिंदगी बदल गई। 1989 में डेब्यू करने से पहले सचिन को दो लोगों ने गाइड और सपोर्ट किया था। पहले थे उनके बड़े भाई अजीत और दूसरे कोच आचरेकर। बचपन में सचिन बहुत शरारती हुआ करते थे और यही दो लोग उन्हें वापस पटरी पर लाया करते थे। टीचर्स डे के मौके पर ट्विटर पर आचरेकर को नमन करते हुए सचिन ने एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने कहा, जब मैं स्कूल में था तो मैं सिर्फ जूनियर टीम के लिए खेलता था और हमारी सीनियर टीम वानखेड़े स्टेडियम में हैरिस शील्ड फाइनल्स खेल रही थी। यहां हमारे कोच रमाकांत आचरेकर ने मेरे लिए एक प्रैक्टिस सेशन रखा था।
उन्होंने मुझे कहा कि मैं स्कूल के बाद वहां जाऊं और 4 नंबर पर बल्लेबाजी करूं। उन्होंने कहा कि उन्होंने कप्तान से बात कर ली है और मुझे फील्डिंग करने की जरूरत नहीं है। यही मेरी ट्रेनिंग हुआ करती थी। उन्होंने कहा, यह जरूरी है, क्योंकि इससे तुम्हें अपने खेल को समझने और मध्यक्रम में कैसे रन बनाए जाएं, इसमें मदद मिलेगी।
देखिए क्या बोले मास्टर ब्लास्टर:
Happy #TeachersDay! The lessons you taught me have always served me well. Sharing an incident with you all that changed my life! pic.twitter.com/J1izUvPG3C
— Sachin Tendulkar (@sachin_rt) September 5, 2017
लेकिन मैं सब कुछ छोड़कर वानखेड़े स्टेडियम में हैरिस शील्ड फाइनल देखने लगा। यहां मैंने सीनियर टीम के लिए खूब तालियां बजाईं। मैच के बाद मैंने आचरेकर सर को देखा और सोचा कि मैं भी उन्हें बधाई दूं। उन्होंने मुझसे पूछा कि मैंने मैच में कितने रन बनाए? इस पर मैंने कहा कि मैं मैच खेलने नहीं गया, क्योंकि मुझे सीनियर टीम को चीयर करना था। इसके बाद उन्होंने मुझे सबके सामने खूब डांटा और कहा कि मुझे औरों के लिए तालियां बजाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, मुझे सिर्फ अपने खेल पर ध्यान देना चाहिए और कुछ एेसा करना चाहिए ताकि एक दिन पूरी दुनिया मेरे लिए तालियां बजाए। सचिन ने कहा, यह मेरे लिए जिंदगी की सबसे बड़ी सीख थी। उस दिन के बाद मैंने कभी कोई मैच मिस नहीं किया। कई वर्षों बाद सचिन ने इसी वानखेड़े स्टेडियम में क्रिकेट विश्व कप जीतकर अपना सपना पूरा किया। सचिन ने अपना आखिरी टेस्ट मैच भी मुंबई के इसी वानखेड़े स्टेडियम में खेला था।
