भारतीय क्रिकेट के ‘हिटमैन’ रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। यह खबर उनके प्रशंसकों के लिए किसी झटके से कम नहीं, लेकिन जैसे हर कहानी का अंत होता है, वैसे ही रोहित की टेस्ट यात्रा भी अपने मुकाम पर पहुंची। इंस्टाग्राम स्टोरी के जरिए रोहित ने अपने संन्यास की घोषणा की, लेकिन इसके पीछे की कहानी में कई सवाल और भावनाएं उमड़ रही हैं। क्या यह उनका अपना फैसला था, या फिर चयनकर्ताओं का दबाव? इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल एथरटन के शब्दों में अगर इसे व्यक्त करें तो उन्होंने कहा कि- यह आश्चर्यजनक नहीं था, लेकिन दुखद जरूर है।

खराब फॉर्म और हार का बोझ

रोहित शर्मा की कप्तानी में भारत ने हाल के समय में कई चुनौतियों का सामना किया। न्यूजीलैंड के खिलाफ 3-0 से टेस्ट सीरीज हार और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में दो हार ने भारत को पहली बार विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) फाइनल से बाहर कर दिया। रोहित का बल्ला भी इस दौरान खामोश रहा। पिछले छह टेस्ट मैचों में भारत को पांच हार का सामना करना पड़ा और रोहित की बल्लेबाजी औसत में भी गिरावट आई। एथरटन ने स्काई स्पोर्ट्स से बातचीत में कहा, “जब आप रन नहीं बना रहे और टीम हार रही हो, तो यह किसी भी कप्तान के लिए खतरनाक संयोजन है।”

38 साल की उम्र में रोहित पर समय का दबाव भी बढ़ रहा था। भारतीय क्रिकेट में प्रतिभाओं की गहरी खान है और युवा खिलाड़ी मौके की तलाश में हैं। ऐसे में खराब फॉर्म और लगातार हार ने रोहित के लिए राह मुश्किल कर दी। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, संन्यास की घोषणा से एक दिन पहले चयनकर्ताओं ने उन्हें कप्तानी से हटाने का फैसला किया था। यह सिर्फ अटकलें हो सकती हैं लेकिन यह साफ है कि रोहित का यह फैसला पूरी तरह अप्रत्याशित नहीं था।

रोहित का अनोखा टेस्ट करियर

माइकल एथरटन ने रोहित के टेस्ट करियर को “अनोखा” बताया। रोहित ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत मध्यक्रम बल्लेबाज के तौर पर की थी, लेकिन लंबे समय तक उन्हें मौके के लिए इंतजार करना पड़ा। बाद में, जब उन्हें ओपनिंग का मौका मिला, तो उन्होंने इस भूमिका को बखूबी निभाया। एक ओपनर के तौर पर रोहित ने 38 टेस्ट में 42.80 की औसत से 2,697 रन बनाए, जिसमें नौ शतक और कई अर्धशतक शामिल हैं। कुल मिलाकर, उनके टेस्ट करियर में 12 शतकों के साथ 40 से थोड़ा ऊपर की औसत रही। यह आंकड़े भले ही उन्हें टेस्ट क्रिकेट के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों की श्रेणी में न रखें, लेकिन उनकी प्रतिभा और योगदान को कम नहीं आंक सकते।

एथरटन ने कहा, “रोहित का टेस्ट करियर दो हिस्सों में बंटा हुआ है। लोग उन्हें वनडे क्रिकेट के महान ओपनर के तौर पर ज्यादा याद करेंगे, लेकिन टेस्ट में भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ी।” रोहित की बल्लेबाजी में जो सहजता और आक्रामकता थी, उसने टेस्ट क्रिकेट में भी कई यादगार पल दिए। चाहे वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी धैर्यपूर्ण पारियां हों या इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू मैदानों पर विस्फोटक शतक, रोहित ने हमेशा अपने अंदाज में क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीता।