उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अगुआई वाली समिति ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पदाधिकारियों से सवाल पूछे हैं। इस समिति को बीसीसीआई में प्रशासनिक सुधार की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
समिति में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश लोढ़ा के अलावा उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अशोक भान और आरवी रवींद्रन शामिल हैं।
समिति ने बीसीसीआई से विभिन्न मुद्दों पर 80 से अधिक सवाल किए हैं, जिनमें हितों का टकराव, ऑडिट, खाते, वित्त और पारदर्शिता जैसे मामले शामिल हैं।
अधिकारियों को भेजेये सवाल बीसीसीआई के आला अधिकारियों को भेजे गए हैं, लेकिन एक ही अधिकारी 82 सवालों में से सिर्फ 35 का जवाब दे पाया है। हितों का टकराव शीर्षक के अंतर्गत एक सवाल पूछा गया है कि जब आईपीएल टीम का एक खिलाड़ी या टीम अधिकारी फ्रेंचाइजी के साथ काम करता हो या अन्य टीम का मालिक हो तो क्या बीसीसीआई इसे हितों का टकराव मानता है।
ऐसी स्थिति से बचने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? जवाब में कहा गया है, इंडिया सीमेंट्स-सीएसके-एन श्रीनिवासन के संदर्भ में हितों के टकराव के मौजूदा मामले के सामने आने के बाद ही बोर्ड में इस तरह के मनमाने रवैये का पता चला है।