भारत के खिलाफ दूसरे वनडे मैच में 6 विकेट लेने वाले रीस टॉपली प्रेजेंटेशन समारोह में अपनी भावनाओं को छिपा नहीं सके। वह भरे गले से बोले, ‘ईमानदारी से कहूं तो यह बहुत मायने रखता है। यह सब सार्थक बनाता है।’ उन्होंने वेलिंगटन अस्पताल की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘यह उस स्टैंड के ठीक ऊपर था जहां तीन साल पहले मेरी सर्जरी हुई थी। इंग्लैंड के लिए खेलना हर किसी का सपना होता है और मैं जितनी बार हो सके यह शर्ट पहनना चाहता हूं।’
रीस टॉपली को इंग्लैंड की जर्सी पहनना कभी दूर की यात्रा लगती थी। हालांकि, 21 साल की उम्र में पदार्पण करने के बाद उनका जीवन और करियर सुचारू रूप से आगे बढ़ रहा था, लेकिन अचानक लगातार चोटों के कारण वह महज 25 साल की उम्र में ही संन्यास लेने की कगार पर पहुंच गए थे। तीन साल पहले, एक और ब्रेकडाउन के बाद रीस टॉपली को लगा था कि उनकी क्रिकेट खत्म हो गई है। पांच साल में चार स्ट्रेस फ्रैक्चर होने के बाद देश के लिए क्रिकेट खेलने की उनकी खुशी जल्द ही दर्द में बदल गई। उन्होंने सोचा कि वह अब और दर्द नहीं सह सकते।
उन्होंने Telegraph.co.uk को दिए इंटरव्यू में बताया था, ‘मुझे सिर्फ गेंदबाजी करने के लिए हर दिन अपने पेट में एक हार्मोन इंजेक्ट करना पड़ता था और महीने में एक बार मुझे अपनी पीठ में एनेस्थेटिक लगाने के लिए लंदन आना पड़ता था और खुद को गेंदबाजी के लिए तैयार करने से पहले मुझे एक घंटे के लिए जिम जाना पड़ता था, क्योंकि मैं पीठ दर्द के साथ खेल रहा था। मैं उस मुकाम पर पहुंच गया, जहां मुझमें इस जहमत को उठाने की जरा भी हिम्मत नहीं बची थी, क्योंकि मैं बहुत दर्द में था।’
दर्द इतना बढ़ गया कि रीस टॉपली ने संन्यास लेने का मन बना लिया। उस समय वह सिर्फ 25 साल के थे। तब इंग्लैंड के सेलेक्टर्स ने उन्हें समय लेने के लिए कहा। साथ ही आश्वस्त किया कि वह लूप में रहेंगे। रीस टॉपली ने एक साल का विश्राम लिया। उन्होंने खुद को क्रिकेट से दूर कर लिया और संगीत की ओर रुख किया और दोस्तों के साथ समय बिताना शुरू किया।
म्यूजिक इंडस्ट्री में उनके कुछ दोस्त थे। उन्होंने जल्द ही पेकहम में एक स्टूडियो जाना शुरू कर दिया। वहां उन्होंने अपने ड्रमिंग कौशल को निखारा और गिटार बजाना सीखा। उन्होंने आईटीवी को बताया, ‘म्यूजिक इंडस्ट्री में मेरे दोस्त हैं। एक दोस्त ने मुझे बताया कि वे सब सोचते हैं कि मुझे फिर से अभ्यास शुरू करने पर विचार करना चाहिए। यह निश्चित रूप से अच्छा है कि मेरे पास ऐसे दोस्त हैं जो अलग-अलग काम करते हैं। उनमें से बहुत से शहर में काम करते हैं और यह आपको एक अलग दृष्टिकोण देता है।’
हालांकि, इसके बाद लॉकडाउन हो गया और स्टूडियो बंद हो गया। तब उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से एक साल के माइक्रोइकोनॉमिक पाठ्यक्रम में दाखिला लिया। वह पहले लॉकडाउन के दौरान खुद को व्यस्त रखना चाहते थे। उनके घर में पूर्ण विकसित जिम है। इस कारण वह हमेशा फिट रहते थे। समय ने उन्हें और अधिक परिपक्व बना दिया। वह अक्सर एक दार्शनिक की तरह बात करते हैं।
जैसे कि तीसरे टी20 के बाद जब उन्होंने कहा था, ‘एक दिन यह आपके हिसाब से नहीं चलता और आप खलनायक बन जाते हैं। लेकिन आपको अगले मैच के लिए खुद को तैयार करना होगा और हीरो बनने की कोशिश करनी होगी।’ उन्होंने खुद को पूरी तरह से किसी चीज के लिए प्रतिबद्ध होने की महत्ता भी जानी। रीस टॉपली ने द टेलीग्राफ को बताया, ‘आप विफलता स्वीकार कर सकते हैं। आप छक्का खाना स्वीकार कर सकते हैं, आप चौका खाना स्वीकार कर सकते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘लेकिन मुझे लगता है कि वह क्या है जो आप स्वीकार नहीं कर सकते- मैंने कोचेस से क्या सीखा है। यदि आप अपने लक्ष्य के शीर्ष पर हैं और 110 प्रतिशत यॉर्कर गेंदबाजी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और आप जानते हैं, यह ठीक है। लेकिन जब आप आधे-अधूरे मन से जाते हैं तो यह लगभग निराशाजनक होता है, या आप अपने द्वारा निर्धारित योजना या फील्ड के लिए प्रतिबद्ध नहीं होते हैं। मुझे लगता है कि मैंने यही सीखा है। बस प्रतिबद्धता।’