बंगाल की टीम रणजी ट्रॉफी 2019-20 के फाइनल में पहुंच गई है। उसने सेमीफाइनल में मजबूत टीम मानी जाने वाली कर्नाटक को 174 रन से हरा दिया। इस जीत के साथ ही बंगाल 2007 के बाद पहली बार फाइनल में अपना स्थान पक्का किया। बंगाल की इस जीत में तीन खिलाड़ियों को बड़ा योगदान रहा। एक बल्लेबाज अनुस्तूप मजूमदार (149 और 41 रन), दूसरे ईशान पोरेल (5 और 2 विकेट) और तीसरे थे मुकेश कुमार (2 और 6 विकेट)। मुकेश ने दूसरी पारी में कर्नाटक की टीम की कमर तोड़ दी। उन्होंने मनीष पांडे, करुण नायर और देवदत्त पड़ीकल जैसे अनुभवी बल्लेबाजों को पवेलियन का रास्ता दिखाया।
हमारे सहयोगी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मुकेश जब बिहार के गोपालगंज में बड़े हो रहे थे तब उनके पिता काशीनाथ कोलकाता में टैक्सी चलाते थे। पिछले साल रणजी ट्रॉफी में केरल के खिलाफ बंगाल का पहला मैच होना था। मुकाबले से पहले मुकेश के पिता का निधन हो गया। मुकेश ने कर्नाटक के खिलाफ बेहतरीन गेंदबाजी के बाद अपने पिता को याद किया। उन्होंने कहा, ‘‘ये छह विकेट पापा के लिए है।’’ मुकेश के सामने कर्नाटक के स्टार बल्लेबाज टिक नहीं पाए और बंगाल की टीम 14वीं बार फाइनल में पहुंच गई।

मनोज तिवारी ने दिया बैट, पैड और ग्लव्स: 2015 में मुकेश का चयन बूची बाबू टूर्नामेंट के लिए बंगाल की टीम में हुआ था। उनके पास क्रिकेट किट भी नहीं थी। मुकेश ने कहा, ‘‘मनोज भैया (बंगाल के अनुभवी बल्लेबाज मनोज तिवारी) ने मेरे को बैट, पैड और ग्लव्स दिया था। मुकेश को क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल (कैब) के विजन-2020 के लिए चुना गया था। उनके पास गेंदबाजी करने के लिए सही जूते भी नहीं थे। मुकेश ने कहा, ‘‘राणा दा (बंगाल टीम के गेंदबाजी कोच राणदेब बोस) ने देबु दा (कैब के जॉइंट सेक्रेटरी और टाउन क्लब के अधिकारी देबब्रत दास) को बोलकर वो अरेंज किया था।
We take a look at the top moments as Bengal enter the @paytm #RanjiTrophy 2019-20 final with a win over Karnataka.
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— BCCI Domestic (@BCCIdomestic) March 3, 2020
मनीष पांडे ने की गेंदबाजी की तारीफ: सेमीफाइनल में मनीष पांडेय के खिलाफ अपनी रणनीति के बारे में मुकेश ने बताया, ‘‘हमारी रणनीति फुल लेंग्थ गेंदबाजी की थी। उन्हें आउटस्विंगर और इनस्विंगर से कन्फ्यूज करना था। जब वे आगे बढ़ते थे तो बैट और पैड के बीच जगह बनती थी। मेरा पूरा प्लान उन्हें कन्फ्यूज करने का था। मैं शॉर्ट गेंद फेंकने और उन्हें जगह देने के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचा। मैं जब भी उन्हें छकाता था तो वे वेल बॉल कहते थे।’’
ICYMI: Bengal pacer Mukesh Kumar’s 6⃣-wicket haul against Karnataka in the @paytm #RanjiTrophy semifinal.
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क्रिकेट छोड़ ढूंढ रहे थे नौकरी: मुकेश को लोकल टी20 में खेलना पसंद है। वहां उन्हें हर मैच के 400 से 500 रुपए मिल जाते हैं। जब वे सेकंड डिवीजन आईसीआई क्लब से जुड़े तो कई दिनों तक चलने वाले मैच से परेशान हो गए थे और बाद में उसे छोड़ दिया। मुकेश ने कहा, ‘‘मैंने यही सोचा कि उतना टाइम का क्रिकेट कौन खेलेगा। टी20 ही अच्छा है। इसके बाद उन्हें विजन 2020 में शामिल किया, लेकिन बेहतर नतीजे नहीं मिलने के कारण वे क्रिकेट छोड़कर जॉब ढूंढ रहे थे। मुकेश ने आगे कहा, ‘‘मैं बहुत मेहनत किया। एक साल में मेरे को ये प्रूव करना ही था कि मेरा क्रिकेट में फ्यूचर है।’’