Wrestlers Protest: ‘पहलवानों के सड़कों पर प्रदर्शन से भारत की छवि खराब हो रही है। भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) में यौन उत्पीड़न के लिए एक समिति है, सड़कों पर जाने के बजाय वे पहले हमारे पास आ सकते थे, लेकिन वे IOA में नहीं आए। थोड़ा तो अनुशासन होना चाहिए। यह खेल के लिए अच्छा नहीं है।’

पीटी उषा पर भी लगा है अनुशासनहीनता का आरोप

ये बयान है भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन की अध्यक्ष और देश की दिग्गज एथलीट पीटी उषा का। पिछले एक हफ्ते से देश के पहलवान जंतर-मंतर पर बैठे हैं। देश भर के बड़े नेता, खाप पंचायतें, खिलाड़ी इस मुहीम को समर्थन देने जंतर-मंतर पहुंच रहे हैं। पीटी उषा को लगता है कि खिलाड़ियों का ये कदम अनुशासनहीनता के दायरे में आता है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक खिलाड़ी से राज्यसभा सांसद और अब आईओए अध्यक्ष बन चुकी पीटी उषा का करियर भी इस अनुशासनहीनता से दूर नहीं रहा है। उनके करियर में कुछ ऐसे मौके आए जहां उनके कदमों ने फैंस को निराश किया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की किरकिरी हुई.

पीटी उषा का ताजा बयान नहीं है उनके शब्द

जनसत्ता.कॉम ने वरिष्ठ पत्रकार और वाईएमसीए की कमेटी के सदस्य नॉरिस प्रीतम से बातचीत की जहां उन्होंने इंडिया टुडे की रिपोर्ट की पुष्टि की और बताया कि पीटी उषा खुद करियर में कुछ ऐसे फैसले ले चुकी हैं जिससे देश की छवि को काफी नुकसान हुआ था। हालांकि उन्होंने पुरानी घटनाओं का हवाला देते हुए ये भी कहा कि पीटी उषा का ताजा बयान उन्हें इस स्टार खिलाड़ी के शब्द नहीं लगते हैं।

1984 के बाद बढ़ गया था पीटी उषा का कद

साल 1984 में लॉस एंजिलिस में खेले गए ओलंपिक में पीटी उषा चौथे स्थान पर रही और बेहद करीब आकर मेडल जीतने का मौका चूक गई थी लेकिन इस ओलंपिक ने ‘पय्योली एक्स्प्रेस’ को देश की उड़न परी बना दिया। पीटी उषा के साथ-साथ उनके कोच नांबियर का कद भी काफी बढ़ गया था। यही कारण था कि साल 1988 में उन्होंने ओलंपिक विलेज में सिर्फ पीटी उषा के लिए रिले रेस के ट्रायल कराने की मांग की जो कि इतिहास में पहली बार हुआ। इसी वजह से देश की काफी किरकिरी हुई।

1988 के सियोल ओलंपिक के लिए पीटी उषा हर बार की तरह 400 मीटर में हिस्सा ले रही थी। इस बार उनका जादू नहीं चला। हीट्स में वो अपने करियर के सबसे खराब टाइमिंग (59.44 सेकंड) के साथ दौड़ीं। रेस खत्म होते ही उषा रोने लगीं। उस समय देश उनके साथ था।

रिले के लिए ट्रायल्स चाहतीं थीं पीटी उषा

इसी ओलंपिक में 4×400 मीटर रिले के लिए वंदना शानभाग, वंदना राव, मर्सी कुट्टन और शाइनी अब्राहम को ट्रायल्स के बाद चुना गया। रिजर्व खिलाड़ी के तौर पर अश्विनी नचप्पा को भी सियोल भेजा गया।

वहां ओलंपिक खेल गांव में पहुंचकर पीटी उषा और उनके कोच नांबियार ने टीम के नेशनल कोच से डिमांड की कि पीटी उषा भी रिले में दौड़ेंगी और इसके लिए ट्रायल कराए जाएं। रेस की तैयारी में जुटे खिलाड़ी फैसले से खुश नहीं थे। इसके बावजूद ट्रायल कराने का फैसला किया गया।

खुद ही ट्रायल्स में नहीं पहुंची पीटी उषा

अगले दिन शाम के समय ट्रायल होने थे। हालांकि न तो पीटी उषा ट्रायल में आईं और न ही उनके कोच। अगले दिन सुबह एक बार फिर कोच नांबियार वही राग अलापते नजर आए। इस बार पीटी उषा ने ट्रायल देने से मना कर दिया और एक तरह से सीधे टीम में शामिल होने की पेशकश रख दी। ये बात बाकी खिलाड़ियों को नगावार उतरी। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक वंदना राव, जिनकी जगह पीटी उषा को मौका दिए जाने की बात हो रही थी वो शेफ डी मिशन के पी सिंह के सामने अड़ गई कि चाहें तो उन्हें वापस भेज दिया जाए लेकिन वो ऐसा नहीं होने देंगी।

ओलंपिक खेल गांव में शर्मसार हुआ देश

जहां एक और सभी टीमें रेस के लिए अपनी तैयारियां मुक्कमल करने में लगी थी भारत ओलंपिक खेल गांव में ट्रायल करा रहा था। भारतीय मीडिया में तो इसकी आलोचना की ही गई साथ ही साथ विदेशी मीडिया ने भी इसका घटना का खूब मजाक बनाया। अखबारों में प्रमुखता से ये खबर छापी गई। पीटी उषा की जिद देश के लिए शर्म का कारण बन गई। आखिरकार उषा ने रिले में हिस्सा नहीं लिया।

उनके कारण ओलंपिक विलेज में जो कुछ हुआ उसके कारण पीटी उषा की छवि एक अनुशासनहीन खिलाड़ी के तौर पर सामने आई। सिर्फ यही नहीं नॉरिस प्रीतम ने ये भी बताया कि पीटी उषा और उनके कोच टीम बस में सफर करना पसंद नहीं करते थे और कई बार आयोजकों से अगल गाड़ी की मांग भी करते थे।

पीटी उषा से निराश हैं पहलवान

पीटी उषा महिला खिलाड़ियों के साथ हुए यौन शोषण के लिए लड़ रहे पहलवानों को अनुशासनहीन बता रही हैं। उनके धरने को देश की इज्जत पर दाग बता रही हैं। साक्षी मलिक से लेकर बजरंग पूनिया ने उनके बयान की निंदा की है। वो इससे काफी आहत थे। विनेश फोगाट का कहना था कि एक महिला होने के नाते और एक खिलाड़ी होने के नाते अगर वो उनका दर्द नहीं समझ सकी हैं तो ये काफी निराशाजनक है।